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उच्चतम न्यायालय ने त्रिपुरा में नगर निकाय चुनाव टालने की टीएमसी की याचिका अस्वीकार की

By भाषा | Updated: November 23, 2021 19:23 IST

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नयी दिल्ली, 23 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने त्रिपुरा में नगर निकाय चुनाव टालने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की याचिका मंगलवार को अस्वीकार कर दी । न्यायालय ने लोकतंत्र में इसे एक अंतिम उपाय बताते हुए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राज्य पुलिस को कुछ निर्देश जारी किये।

शीर्ष अदालत ने संवेदनशील इलाकों में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की समीक्षा करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि यदि निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।

न्यायालय ने चुनाव प्रचार के दौरान हिंसक घटनाओं के मद्देनजर दर्ज प्राथमिकियों और उन मामलों में की गई गिरफ्तारियों का ब्योरा भी मांगा।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, ‘‘चुनाव टालना एक अंतिम उपाय है। हमारा विचार है कि वकीलों द्वारा याचिकाकर्ताओं की ओर से जताई गई आशंका का उपयुक्त रूप से निवारण त्रिपुरा को निर्देश जारी कर किया जा सकता है, इस तरह सुनिश्चित किया जा सकता है कि नगर चुनाव के शेष चरण शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित तरीके से हों। ’’

न्यायालय टीएमसी की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। दरअसल, आगामी नगर निकाय चुनाव से पहले विपक्षी दलों के खिलाफ हिंसक घटनाओं को रोकने में नाकाम रहने को लेकर त्रिुपरा सरकार और अन्य अधिकारियों के खिलाफ इस याचिका के जरिये अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है।

पीठ ने निर्देश दिया, ‘‘पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था)चुनाव के शेष चरणों को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए सीआरपीएफ से लिये गये अर्द्धसैनिक बलों की उपलब्धता का आकलन करने के उद्देश्य से कल सुबह तक राज्य निर्वाचन आयोग के साथ एक संयुक्त बैठक करें। ’’

न्यायालय ने कहा कि जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद यदि और बल की जरूरत हो तो सीआरपीएफ को या केंद्रीय गृह मंत्रालय को अनुरोध पत्र सौंपा जाए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेन्सियों को समान रूप से और बगैर किसी पक्षपात के अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ताकि इस न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशियों और समर्थकों द्वारा व्यक्त शिकायतों का समाधान हो जाये। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव लड़ रहे राजनीतिक समूह अनुचित तरीके से उन्हें निशाना बना रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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