आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण के फैसले की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को भेजा नोटिस

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 25, 2019 11:24 AM2019-01-25T11:24:59+5:302019-01-25T15:30:09+5:30

सामान्य वर्ग को आरक्षण दिए जाने पर चार हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Supreme Court refuses to ban reservation of general category; Notice sent to central government | आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण के फैसले की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को भेजा नोटिस

आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण के फैसले की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने जनरल कैटेगरी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त करने वाले संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

पीठ ने कहा, ‘‘हम मामले की जांच कर रहे हैं और इसलिए नोटिस जारी कर रहे हैं जिनका चार सप्ताह में जवाब दिया जाए।’’ पीठ ने आरक्षण संबंधी केंद्र के इस फैसले के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई। इस चुनावी वर्ष में नरेंद्र मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ देने के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया था। जनहित अभियान और यूथ फॉर इक्वैलिटी जैसे संगठनों ने केंद्र के निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है।

बता दें कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट को नोटिस भेजा है। इस मामले में चार हफ्ते बाद सुनवाई की जाएगी। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि इसका निपटारा होने तक संविधान (103 वां) संशोधन अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाई जाये।


राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया गया था। लोकसभा ने इस विधेयक को 8 जनवरी को ही मंजूरी दी थी, जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था। विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया था। 

उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जतायी। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर

English summary :
Supreme Court has refused to stay implementation of 10% reservation for financially weak people of general category in jobs and education. A bench of CJI Ranjan Gogoi in Supreme Court said while hearing the matter said that they will examine the issue.


Web Title: Supreme Court refuses to ban reservation of general category; Notice sent to central government

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