दिल्ली में प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों के लिए ये जिंदगी और मौत का सवाल

By भाषा | Published: November 6, 2019 06:22 PM2019-11-06T18:22:44+5:302019-11-06T18:22:44+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा, 'हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा। सरकारी मशीनरी पराली जलाये जाने को रोक क्यों नहीं सकती?'

Supreme court hearing on Air pollution: says it is a question of millions of people in Delhi-NCR | दिल्ली में प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों के लिए ये जिंदगी और मौत का सवाल

दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)

Highlightsप्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लिया आड़े हाथकोर्ट ने कहा, यदि लोगों की परवाह सरकारों को नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं हैकोर्ट ने पूछा- सरकारी मशीनरी पराली जलाये जाने को रोक क्यों नहीं सकती?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि खतरनाक स्तर का वायु प्रदूषणदिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करोड़ों लोगों के लिये जिंदगी-मौत का सवाल बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण पर अंकुश लगा पाने में विफल रहने के लिये प्राधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराना होगा। जस्टिस अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सवाल किया, 'क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे। क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?' 

पीठ ने कहा, 'हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।' पीठ ने सवाल किया, 'सरकारी मशीनरी पराली जलाये जाने को रोक क्यों नहीं सकती?' न्यायाधीशों ने राज्य सरकारों को आड़े हाथ लेते हुये कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। पीठ ने कहा, 'आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गये हैं। आप गरीब लोगों के बारे में चिंतित ही नहीं हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।' 

शीर्ष अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार किसानों से पराली एकत्र करके उसे खरीद नहीं सकती? दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये पीठ ने कहा, 'हम पराली जलाने और प्रदूषण पर नियंत्रण के मामले में देश की लोकतांत्रिक सरकार से और अधिक अपेक्षा करते हैं। यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है। हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।' 

दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण में किसानों द्वारा पराली जलाये जाने के योगदान के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने सोमवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को छह नवंबर को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया था। दिल्ली और इससे लगे इलाकों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए न्यायालय ने मंगलवार को इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए अलग से खुद एक नया मामला दर्ज किया।

इस मामले में अन्य मामले के साथ ही बुधवार को सुनवाई हुयी। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को ‘भयावह’ करार दिया था। साथ ही, क्षेत्र में निर्माण एवं तोड़-फोड़ की सभी गतिविधियों तथा कूड़ा-करकट जलाये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायालय ने कहा था कि ‘आपात स्थिति से बदतर हालात’ में लोगों को मरने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता।

न्यायालय ने यह भी कहा कि उसके आदेश के बावजूद निर्माण कार्य एवं तोड़फोड़ की गतिविधियां करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए। पीठ ने कहा था कि इलाके में यदि कोई कूड़ा-करकट जलाते पाया गया तो उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाए। न्यायालय ने यह भी कहा था कि इस आदेश का किसी तरह का उल्लंघन होने पर स्थानीय प्रशासन और क्षेत्र के अधिकारी जिम्मेदार ठहराये जाएंगे।

पीठ ने कहा था कि वैज्ञानिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि क्षेत्र में रहने वालों की आयु इसके चलते घट गई है। न्यायालय ने सवाल उठाया था कि , 'क्या इस वातावरण में हम जीवित रह सकते हैं? दिल्ली का हर साल दम घुट रहा है और हम इस मामले में कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। सवाल यह है कि हर साल ऐसा हो रहा है। किसी भी सभ्य समाज में ऐसा नहीं हो सकता।' 

शीर्ष अदालत ने कहा था, 'दिल्ली में रहने के लिये कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। यहां तक कि लोग अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है। यह भयावह है।'

Web Title: Supreme court hearing on Air pollution: says it is a question of millions of people in Delhi-NCR

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