"सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की 'कुटिल साजिशों' को प्रमाणित कर दिया है", कांग्रेस ने चुनावी बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश पर कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 11, 2024 02:29 PM2024-03-11T14:29:15+5:302024-03-11T14:47:01+5:30

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉण्ड के मसले पर एसबीआई की याचिका खारिज होने पर कहा कि शीर्ष अदालत ने मोदी शासन की 'कुटिल साजिशों' से भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की है।

"Supreme Court has vindicated Modi government's 'devious conspiracies'", Congress says on Supreme Court's strict order on electoral bonds | "सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की 'कुटिल साजिशों' को प्रमाणित कर दिया है", कांग्रेस ने चुनावी बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश पर कहा

फाइल फोटो

Highlightsकांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉण्ड के मसले पर एसबीआई की याचिका खारिज होने पर दी प्रतिक्रियाकांग्रेस ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मोदी शासन की 'कुटिल साजिशों' से लोकतंत्र की रक्षा की हैकांग्रेस ने कहा कि यह बेहद हास्यास्पद है कि एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉण्ड के मसले पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की याचिका खारिज करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने मोदी शासन की 'कुटिल साजिशों' से भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की है।

इसके साथ पार्टी ने देश के प्रमुख बैंक एसबीआई की भी जमकर आलोचना की और कहा कि यह बेहद हास्यास्पद है कि बैंक सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए निर्धारित समय के भीतर चुनावी बांड से संबंधित आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं सका।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर किये एक पोस्ट में लिखा, "सर्वोच्च न्यायालय एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र को इस शासन की कुटिल चालों से बचाने के लिए सामने आया है। एसबीआई के लिए एक दिन की साधारण नौकरी के लिए एक्सटेंशन की मांग करना हास्यास्पद था। सच तो यह है कि सरकार अपने सभी ढांचे ढह जाने से डरी हुई है।"

इस हमले के साथ केसी वेणुगोपाल ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रमाणित किया है कि मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई चुनावी बॉण्ड योजना एक बड़ा राजनीतिक भ्रष्टाचार घोटाला है। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रमाणित यह मेगा भ्रष्टाचार घोटाला भाजपा और उसके भ्रष्ट कॉर्पोरेट आकाओं के बीच अपवित्र सांठगांठ को उजागर करेगा।"

सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को एसबीआई के उस अनुरोध को खारिज कर दिया है, जिसमें चुनावी बॉण्ड का विवरण प्रस्तुत करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की गई थी। अदालत ने बैंक को 12 मार्च के कामकाजी घंटों तक चुनावी बांड से संबंधित सारे विवरण जमा करने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही अदालत ने चुनाव आयोग को भी आदेश दिया है कि वो 15 मार्च के शाम में 5 बजे तक अपनी वेबसाइट राजनीतिक दलों को मिले चंदे की जानकारी अपलोड करे। सुप्रीम कोर्ट ने आज एसबीआई को बेहद कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि उसने जानकारी इकट्ठा करने के लिए पिछले 26 दिनों में क्या कदम उठाए हैं।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने एसबीआई के पूछा, "पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं? आपका आवेदन उस पर चुप है।"

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को बेहद सख्त लहजे में चेतावनी दी है कि अगर उसने उसके आदेश का पालन नहीं किया तो बैंके के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही की जाएगी।

मालूम हो कि बीते 4 मार्च को एसबीआई ने शीर्ष अदालत से समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने के लिए कहा था और उसने तर्क दिया था कि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक जानकारी इकट्ठा करने में समय लगेगा और चूंकि चुनावी बांड की जानकारी गुप्त रखी जाती है। इस कारण से मामले की जानकारी जुटाने में जटिलताएं आ रही हैं। बैंत के अनुसार 2019 से 2024 तक अलग-अलग राजनीतिक दलों को चंदा देने में कुल 22,217 चुनावी बॉण्डों का उपयोग किया गया है।

वहीं एडीआर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि एसबीआई ने 6 मार्च तक चुनावी बॉण्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को किए गए योगदान का विवरण चुनाव आयोग को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की "जानबूझकर" अवहेलना की है।

एडीआर की ओर दायर अवमानना याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता इस अदालत द्वारा पारित 15 फरवरी के आदेश की जानबूझकर और जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए यह याचिका दायर कर रहा है। जिसमें इस अदालत ने एसबीआई को 6 मार्च तक राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण चुनाव आयोग को सौंपने के लिए कहा था।“

मालूम हो कि बीते 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले चुनावी बॉण्ड योजना को "असंवैधानिक" करार दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह योजना बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार और सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई को आदेश दिया था कि वो अप्रैल 2019 से भुनाए गए सभी चुनावी बांडों का विवरण 6 मार्च तक चुनाव आयोग को प्रदान करे और अन्य सभी बैंक आगे से कोई भी चुनावी बॉण्ड नहीं जारी करेंगे।

अदालत ने अपने फैसले में कहा था, "काले धन पर अंकुश लगाना और दानदाताओं की गुमनामी सुनिश्चित करना चुनावी बांड का बचाव करने या राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की आवश्यकता का आधार नहीं हो सकता है।"

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में चुनाव आयोग को कहा था कि वो चुनावी बॉण्ड से संबंधित एसबीआई से मिली जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करेगा और जो बॉण्ड अभी तक भुनाए नहीं गए हैं, उन्हें वापस कर दिया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने कहा, "चुनावी बॉण्ड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदान के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्यों के लिए है।"

भारत सरकार ने साल 2018 में गुमनाम राजनीतिक चंदे की सुविधा के लिए चुनावी बॉण्ड पेश किया था। ये चुनावी बॉण्ड एसबीआई की अधिकृत शाखाओं के माध्यम से जारी किए गए ब्याज मुक्त बॉण्ड होते हैं। बैंक में यह बॉण्ड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के गुणकों में उपलब्ध होते थे।

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