अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से पूछा- घाटी में कब तक प्रतिबंध जारी रहेंगे

By भाषा | Updated: October 24, 2019 20:37 IST2019-10-24T20:37:24+5:302019-10-24T20:37:24+5:30

न्यायालय घाटी में आवागमन और संचार व्यवस्था पर लगायी गयी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

Supreme Court asks J&K administration, how long restrictions will continue in the valley | अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से पूछा- घाटी में कब तक प्रतिबंध जारी रहेंगे

सुप्रीम कोर्ट की इमारत। (फाइल फोटो)

Highlightsमेहता ने पीठ से कहा, ‘‘पाबंदियों की रोजाना समीक्षा की जा रही है। करीब 99 प्रतिशत क्षेत्रों में कोई प्रतिबंध नहीं हैं।’’ पीठ ने इस पर मेहता से कहा, ‘‘आपको स्पष्ट जवाब के साथ आना होगा। आपको इससे निबटने के दूसरे तरीके खोजने होंगे। आप कब तक इस तरह के प्रतिबंध चाहते हैं।’’

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से सवाल किया कि अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद घाटी में इंटरनेट सेवा अवरूद्ध करने सहित लगाये प्रतिबंधों को कब तक प्रभावी रखने की उसकी मंशा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्राधिकारी राष्ट्रहित में पाबंदियां लगा सकते हैं लेकिन समय-समय पर इनकी समीक्षा भी करनी होगी।

न्यायालय घाटी में आवागमन और संचार व्यवस्था पर लगायी गयी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि स्पष्ट जवाब के साथ आयें और इस मुद्दे से निबटने के दूसरे तरीके खोजें।

मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘पाबंदियों की रोजाना समीक्षा की जा रही है। करीब 99 प्रतिशत क्षेत्रों में कोई प्रतिबंध नहीं हैं।’’ कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की ओर से अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने मेहता के कथन का प्रतिवाद किया और कहा कि घाटी में दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आज भी इंटरनेट सेवा ठप है।

पीठ ने इस पर मेहता से कहा, ‘‘आपको स्पष्ट जवाब के साथ आना होगा। आपको इससे निबटने के दूसरे तरीके खोजने होंगे। आप कब तक इस तरह के प्रतिबंध चाहते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हो सकता है आपने राष्ट्र हित में प्रतिबंध लगाये हों लेकिन समय समय पर इनकी समीक्षा करनी होगी।’’ सॉलिसिटर जनरल ने इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध के बारे में कहा कि इंटरनेट पर प्रतिबंध अब भी इसलिए जारी हैं क्योंकि सीमा-पार से इसके दुरुपयोग की आशंका है और घाटी में आतंकी हिंसा फैलाने में इसकी मदद ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमें शुतुरमुर्ग जैसा रवैया नहीं अपनाना चाहिए। साथ ही उन्होने 2016 में एक मुठभेड़ में खूंखार आंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हुये विरोध की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया।

मेहता ने कहा कि हालांकि जब कश्मीर में वानी नाम का आतंकवादी मारा गया और इंटरनेट सेवा करीब तीन महीने ठप रही तो पाबंदियों के खिलाफ कोई याचिका न्यायालय में दायर नहीं की गयी थी।

हालांकि, ग्रोवर ने इस मामले में जम्मू कश्मीर प्रशासन के हलफनामे का जिक्र किया और कहा कि उसने खुद कहा है कि 2008 से घाटी में आतंकी हिंसा में कमी आयी है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले में अब पांच नवंबर को आगे सुनवाई करेगा।

अनुराधा भसीन के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं ने भी घाटी में लगी पाबंदियों को चुनौती दे रखी है। पीठ ने कहा कि कश्मीर में नाबालिग बच्चों को कथित रूप से हिरासत में रखने सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर दायर याचिकाओं पर भी पांच नवंबर को सुनवाई की जायेगी।

न्यायालय ने 16 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा था कि वह उसके समक्ष उन आदेशों को रखे जिनके आधार पर राज्य में संचार प्रतिबंध लगाए गए थे। न्यायालय ने संचार प्रतिबंध लगाने के आदेश और अधिसूचना को लेकर प्रशासन से सवाल किये थे। 

Web Title: Supreme Court asks J&K administration, how long restrictions will continue in the valley

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