हरिद्वार: हरिद्वार में पिछले महीने एक धर्म संसद में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति जता दी है। कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि हरिद्वार धर्म संसद मामले में एक स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
इस जनहित याचिका में कपिल सिब्बल बतौर वकील पेश हुए और चीफ जस्टिस एनवी रमण की पीठ से कहा कि ऐसा लगता है कि देश का नारा 'सत्यमेव जयते' से बदलकर 'शास्त्रमेव जयते' हो गया है। वहीं, याचिका पर चीफ जस्टिस ने कपिल सिब्बल से कहा, 'हम इस मामले पर सुनवाई करेंगे।'
कोर्ट ने कपिल सिब्बल ने साथ ही पूछा कि क्या मामले में पहले ही जांच नहीं हुई है। इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि केवल एफआईआर दर्ज की गई है।
आरोप हैं कि हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में 16-19 दिसंबर के दौरान धर्म संसद में कथित तौर पर अल्पसंख्यक लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया गया था। इस मामले में एसआईटी की जांच भी चल रही है। पंच दशनाम अखाड़ा के यती नरसिंहानंद और निरंजनी अखाड़ा की साध्वी अन्नपूर्णा, सिंधु सागर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है।
इसके अलावा वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी पर भी मामला दर्ज किया गया है। हालांकि मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
बता दें कि हरिद्वार धर्म संसद के कुछ वीडियो भी सामने आए थे। इसे लेकर विपक्ष ने भी सवाल उठाया था। इसका आयोजन यती नरसिंहानंद द्वारा की गया था जो पहले भी अपने विवादित बातों के लिए चर्चा में रहे हैं।
इस कार्यक्रम के वायरल हुए क्लिप में प्रबोधानंद गिरी कहते नजर आए, 'म्यांमार की तरह हमारी पुलिस, हमारे राजनेता, हमारी सेना और हर हिंदू को हथियार उठाना चाहिए और एक सफाई अभियान करना चाहिए। कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।'
वहीं, एक और विवादास्पद वीडियो में साध्वी अन्नपूर्णा हथियारों का आह्वान करते हुए अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करने की बात कहती नजर आईं। वीडियो में वे कहती नजर आ रही हैं, 'अगर आप उन्हें खत्म करना चाहते हैं, तो...हमें 100 सैनिकों की जरूरत है जो उनके 20 लाख लोगों को मार सकें।'