सुपरटेक मामला: नोएडा प्राधिकरण के योजना प्रबंधक निलंबित, मुख्यमंत्री ने एसआईटी गठित की
By भाषा | Published: September 2, 2021 10:40 PM2021-09-02T22:40:19+5:302021-09-02T22:40:19+5:30
गौतमबुद्ध नगर जिले के सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट मामले में उच्चतम न्यायालय के कड़े रुख के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा प्राधिकरण के योजना विभाग के एक प्रबंधक को निलंबित कर दिया है। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चार सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। एसआईटी को एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है जो वर्ष 2004 से 2017 के बीच हुई गड़बड़ियों को लेकर जांच करेगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने कहा कि चार सदस्यीय एसआईटी का नेतृत्व अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल करेंगे, जिसमें अपर मुख्य सचिव ग्राम विकास एवं पंचायती राज मनोज कुमार सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन राजीव सब्बरवाल और मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं। गौरतलब है कि गत मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने नोएडा के सेक्टर-93 में सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट हाउसिंग परियोजना के तहत नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत में ट्विन टावर को तीन महीने के अंदर ध्वस्त करने का आदेश देते हुए कहा था कि जिला स्तरीय अधिकारियों की सांठगांठ से किए गए इस इमारत के निर्माण के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करनी होगी ताकि नियम कायदों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके। उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आने वाले औद्योगिक विकास निकाय के विरूद्ध की गई शीर्ष अदालत की गयी कठोर टिप्पणियों के बाद मुखख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इस मामले में जांच के आदेश दिए थे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा था। लखनऊ में आधिकारिक सूत्रों ने कहा, '' योजना विभाग में तैनात प्रबंधक मुकेश गोयल को एमेराल्ड कोर्ट मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाइई के लिए नामित किया गया था। वह लगातार सुनवाई में मौजूद रहे लेकिन महत्वपूर्ण तथ्यों और मुकदमे से जुड़ी अद्यतन जानकारी को नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में नहीं लाए।'' सूत्रों ने कहा, '' प्रथम दृष्टया योजना प्रबंधक को कार्य में अनियममित्ता एवं गैर-जिम्मेदार रवैये का दोषी पाया गया। उनके विरूद्ध विभागीय जांच शुरू की गई है और उन्हें एक सितंबर से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।'' उन्होंने बताया कि नोएडा प्राधिकरण के करीब आधा दर्जन अन्य अधिकारी भी इस मामले में कथित भूमिका को लेकर पड़ताल के दायरे में हैं।
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