मोदी सरकार के इस कदम से चीनी मिल गन्ना किसानों को समय पर कर सकेंगे भुगतान
By रामदीप मिश्रा | Published: August 22, 2020 02:21 PM2020-08-22T14:21:05+5:302020-08-22T14:21:05+5:30
अधिकारियों ने एक बैठक चीनी उत्पादक राज्यों और चीनी उद्योग संघों के गन्ना आयुक्तों, प्रमुख बैंकों और तेल विपणन कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ की है। इस
नई दिल्लीः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने चीनी उद्योग की कार्यशैली में सुधार लाने के लिए कई उपाय किए हैं, जिससे चीनी मिलों को किसानों के गन्ने के भुगतान समय पर करने में मदद मिलेगी। इससे आगे बढ़ते हुए, अतिरिक्त स्टॉक की समस्या को दूर करने और अतिरिक्त गन्ने व चीनी को दूसरे जगह भेजने के समाधान पर तेजी से काम हुआ है।
अधिकारियों ने एक बैठक चीनी उत्पादक राज्यों और चीनी उद्योग संघों के गन्ना आयुक्तों, प्रमुख बैंकों और तेल विपणन कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ की है। इस बैठक में ओएमसी को इथेनॉल की आपूर्ति बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर पेट्रोल में सम्मिश्रण प्रतिशत बढ़ाने के बारे में चर्चा की गई।
इस बैठक में यह सहमति हुई कि इथेनॉल (चीनी मिलों) के निर्माता के रूप में, इथेनॉल (ओएमसी) के खरीदार और ऋणदाता (बैंक) एक एस्क्रौ खाता के माध्यम से इथेनॉल के खरीद और भुगतान के बारे में एक त्रि-पक्षीय समझौता (टीपीए) करने को तैयार हैं। बैंक कमजोर बैलेंस शीट वाले चीनी मिलों को भी लोन देने पर विचार कर सकते हैं। इससे मिलों को नई डिस्टिलरी (इकाई) स्थापित करने या अपनी मौजूदा इकाई का विस्तार करने के लिए बैंकों से लोन प्राप्त करने में सुविधा होगी।
राज्यों और उद्योग द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि वर्तमान में इथेनॉल की आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ आगामी वर्षों में इथेनॉल की आपूर्ति निर्बाध रूप से किया जा सके। पिछले इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2018-19 के दौरान चीनी मिलों और अनाज आधारित भट्टियों द्वारा लगभग 189 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की गई थी, जिससे 5 प्रतिशत सम्मिश्रण तैयार हुआ।
मौजूदा समय में इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2019-20 में, 190-200 करोड़ लीटर की आपूर्ति के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि 5.6 प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का और 2030 तक 20 प्रतिशत मिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।