मध्य प्रदेश: छात्र अपने माता-पिता और मातृभूमि को सदैव याद रखें, विक्रम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोले राज्यपाल मंगुभाई पटेल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 2, 2022 06:30 PM2022-04-02T18:30:23+5:302022-04-02T18:34:03+5:30
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि महान सम्राट विक्रमादित्य के नाम से संचालित इस विश्वविद्यालय से शिक्षा एवं दीक्षा प्राप्त कर आप सभी अपने जीवन में बहुत उन्नति करें, प्रगति करें, पर अपने माता, पिता एवं मातृभूमि को सदैव याद रखें।
उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के 26वें दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने कहा कि महान सम्राट विक्रमादित्य के नाम से संचालित इस विश्वविद्यालय से शिक्षा एवं दीक्षा प्राप्त कर आप सभी अपने जीवन में बहुत उन्नति करें, प्रगति करें, पर अपने माता, पिता एवं मातृभूमि को सदैव याद रखें।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि यहां के शिक्षक इतने योग्य एवं विद्वान हैं कि विश्वविद्यालय निरन्तर शिक्षा एवं नवीन तकनीक को आगे बढ़ाने के क्षेत्र में निरन्तर अग्रसर होता रहेगा। आप जिस समाज में रहें, वहां हमेशा वंचित लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार सदैव सहयोग करें। वंचित लोगों के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में हर संभव मदद करें। शिक्षा ही ऐसा मार्ग है, जिससे हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
शिक्षा ही समाज के सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। हमारे ऋषि-मुनियों ने भी शिक्षा को महत्वपूर्ण माना है। इतिहास में चाणक्य जैसे गुरू ने चंद्रगुप्त जैसे शिष्य को शिक्षा देकर महान सम्राट बनाया। विक्रम विश्वविद्यालय में भी ऐसे ही शिक्षक मौजूद हैं, जो विद्यार्थी को उन्नति के चरम तक पहुंचा सकते हैं। विक्रम विश्वविद्यालय का माहौल ऐसा बनाया जाये कि यहां का हर विद्यार्थी हर चुनौती का सामना करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़े और विश्वविद्यालय का नाम विश्व में हो।
दीक्षान्त समारोह में आज जो युवा शिक्षित और संकल्पित हुए हैं मैं उनसे कहता हूं कि यह तो सिर्फ शुरूआत है, आगे आपको अपने जीवन में कई मंजिलें प्राप्त करनी है। आप अपने लक्ष्य निर्धारित करें और लक्ष्य के लिये सतत प्रयत्नशील रहें। सफलता जरूर मिलती है। समाज में अपना चरित्र उत्तम रखें। अपनी प्रतिभा से ऐसी छाप छोड़ें, जिससे विक्रम विश्वविद्यालय का नाम हो।
दीक्षान्त समारोह में उपस्थित नोबल शान्ति पुरस्कार प्राप्त समाजसेवक श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि आज सभी शोधार्थियों के लिये विशेष दिन है। इस विशेष दिन के अवसर पर आपको नये संकल्पों, नये सपनों के लिये शपथ दिलाई गई है। यह आज का दिन आपके संकल्पों और सपनों का उत्सव है। इस समारोह में आपको सदाचरण की शपथ दिलाई गई है, उसे हमेशा याद रखें और सदाचरण करते हुए समाज में रहें।
आपके माता, पिता, गुरूओं एवं राष्ट्र के प्रति कृतज्ञता के लिये भी आपने संकल्प लिया है। उन्हें आप हमेशा याद रखें। आपके जीवन के अब तक के विकास में जिन-जिन व्यक्तियों, माता, पिता, गुरू, भाई, बहन, जिनका भी सहयोग रहा है, उनके लिये हमेशा कृतज्ञ रहें। इस दीक्षान्त समारोह से जाने के बाद अपने ज्ञान और ऊर्जा का उपयोग राष्ट्र के निर्माण में करें। यहां के छात्र इस तरह से अपनी ऊर्जा का उपयोग करें कि भारत विश्वगुरू के रूप में पहचाना जाये, फिर से सोने की चिड़िया कहलाये।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय को राज्यपाल एवं कुलाधिपति के मार्गदर्शन में नई ऊंचाईयां मिली हैं। इसके लिये मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।सांसद अनिल फिरोजिया ने दीक्षार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह दीक्षान्त प्रमाण-पत्र प्राप्त करना आपकी मंजिल नहीं है। अभी तो आपको कई लक्ष्य और मंजिलें प्राप्त करनी हैं। आपके कुलपति द्वारा दिलाये गये संकल्पों को अमल में लाते हुए समाज में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। उन्होंने सभी को आगामी भविष्य के लिये शुभकामनाएं दी।
समारोह के प्रारम्भ में विद्यार्थियों द्वारा मालवांचल के पारम्परिक नृत्य द्वारा राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल एवं अतिथियों की अगवानी की गई। अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में महाराजा विक्रमादित्य के मूर्तिशिल्प पर पुष्प अर्पित किये गये। कार्यवाही कुल सचिव डॉ.पुराणिक द्वारा कुलाधिपति की अनुमति से प्रारम्भ की गई। कुलपति प्रो.पाण्डेय ने सभी का शाब्दिक स्वागत किया।
विश्वविद्यालय के कार्य परिषद के सदस्यों ने राज्यपाल श्री पटेल एवं सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ, तुलसी का पौधा, शाल, प्रतीक चिन्ह भेंटकर स्वागत किया। तत्पश्चात विश्वविद्यालय से सभी संकाय के गोल्ड मेडल, डीलिट, पीएचडी की उपाधि प्राप्त शोधार्थियों को अतिथियों द्वारा मंच से उपाधि एवं मेडल प्रदान किये गये। आभार प्रदर्शन कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक ने किया।