NPR से इनकार करने पर राज्य सरकार के कर्मचारियों को हो सकती है 3 साल की जेल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 4, 2020 11:29 AM2020-01-04T11:29:12+5:302020-01-04T11:29:12+5:30
सभी अधिकारी सेंशस ऑफ इंडिया एक्ट कानून के तहत के तहत जनगणना व एनपीआर तैयार करने के लिए बाध्य होंगे। यदि कोई अधिकारी ऐसा करने से इंकार करते हैं तो उन्हें 3 साल की जेल हो सकती है।
राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के कर्मचारियों की मदद से भारत सरकार जनगणना व नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) तैयार करेगी। जनगणना आयुक्त और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सिटिजन रजिस्ट्रेशन के नेतृत्व में राज्य सरकार के कर्मचारियों को इनके साथ काम करना होगा।
ये सभी अधिकारी सेंशस ऑफ इंडिया एक्ट कानून के तहत के तहत जनगणना व एनपीआर तैयार करने के लिए बाध्य होंगे। यदि कोई अधिकारी ऐसा करने से इंकार करते हैं तो उन्हें 3 साल की जेल हो सकती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार के सेंशस ऑफ इंडिया एक्ट और नागरिकता (नागरिक पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) कानून 2003 के तहत इस काम में जिस भी राज्य सरकार के कर्मचारी का नाम होगा, उसे हर हाल में सेंशस व एनपीआर के लिए लोगों के घर जाकर डेटा कलेक्ट करना होगा।
भारत सरकार के कानून मुताबिक, हर राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों के प्रशासन को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर जनगणना करने के लिए, प्रमुख जनगणना अधिकारी (जिला मजिस्ट्रेट), जिला और उप-जिला जनगणना अधिकारी, पर्यवेक्षक और गणनाकर्ता नियुक्त करने होंगे।
यदि कोई अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो भारत की जनगणना अधिनियम की धारा 11 के तहत उन्हें दंड दिया जाएगा। इस नियम के तहत जनगणना काम में सहायता नहीं करने पर किसी भी सरकारी कर्मचारी को तीन वर्ष तक का कारावास और जुर्माना से दंडित किया जा सकता है।
एक अधिकारी ने कहा कि इसी तरह एनपीआर ड्यूटी करने से इनकार करने पर नागरिकता नियम- 2003 के नियम 17 के तहत 1,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही ऐसे कर्मचारी को अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।