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भूखमरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, ताजा आंकड़े मांगे, सामुदायिक रसोई की राष्ट्रीय योजना तैयार करने को कहा

By विशाल कुमार | Updated: January 18, 2022 15:27 IST

सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने भुखमरी से होने वाली मौतों पर 2015-2016 की रिपोर्ट पर भरोसा करने के लिए केंद्र की खिंचाई की। सीजेआई ने कहा कि क्या आप कह रहे हैं कि देश में एक के अलावा भूख से कोई मौत नहीं हुई है? क्या हम उस बयान पर निर्भर रह सकते हैं?

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ठळक मुद्देकोर्ट ने भूखमरी पर 2015-2016 की रिपोर्ट पर भरोसा करने के लिए केंद्र की खिंचाई की।यह चुनाव का समय है। यदि आप नीति बनाएं तो राज्य पके हुए भोजन नीति को लागू करना चाहेंगे।सीजेआई ने कहा कि हमारा ध्यान इस बात पर है कि लोग भूख से पीड़ित न हों, भूख से न मरें।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से देश में भूख से मरने वालों की संख्या का ताजा आंकड़ा पेश करने और भूख से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल योजना तैयार करने को कहा है।

आज एक सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूखमरी से होने वाली मौतों पर 2015-2016 की रिपोर्ट पर भरोसा करने के लिए केंद्र की खिंचाई की। सीजेआई ने कहा कि क्या आप कह रहे हैं कि देश में एक के अलावा भूख से कोई मौत नहीं हुई है? क्या हम उस बयान पर निर्भर रह सकते हैं?

अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि चूंकि राज्य सरकारें किसी भी भूख से मौत की सूचना नहीं दे रही हैं, क्या यह समझा जाना चाहिए कि देश में कोई भूख से मौत नहीं है? भारत सरकार हमें भुखमरी से होने वाली मौतों के आंकड़े, ताजा जानकारी दें। अपने अधिकारी से हमें जानकारी देने के लिए कहें

पीठ ने कहा कि सरकारें पांच राज्यों में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर रही हैं और सामुदायिक रसोई की नीति केंद्र को लोकप्रिय बनाएगी। अदालत ने कहा कि यह चुनाव का समय है। यदि आप नीति बनाते हैं और अतिरिक्त खाद्यान्न देते हैं, तो राज्य पके हुए भोजन नीति को लागू करना चाहेंगे।

हालांकि, इस पर वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि पहले से ही 134 योजनाएं चल रही हैं और अधिक धनराशि राज्यों को नहीं दी जा सकती है क्योंकि उन्हें पहले से ही खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है, तो पीठ ने केंद्र से अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा।

सीजेआई ने कहा कि हमारा ध्यान इस बात पर है कि लोग भूख से पीड़ित न हों, भूख से न मरें। आपको एक केंद्रीकृत योजना के साथ आने के लिए अपने अधिकारियों के साथ चर्चा करनी होगी। हमने इस अदालत की मंशा के बारे में बताया है और इसका समाधान तलाशने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हम कुपोषण जैसे के बड़े मुद्दे पर चर्चा नहीं कर रहे हैं और फिलहाल भूख का मुद्दा काफी है। हर कोई स्वीकार कर रहा है कि यह एक मुद्दा है, मानवीय दृष्टिकोण रखें।

इस पर वकील ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सुझाव पर गौर करेगी और दो फीसदी अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी। राज्यों को हलफनामा दाखिल करने दीजिए, फिर देखते हैं कि उन्हें दो फीसदी स्वीकार है या नहीं।

अदालत ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि राज्य तब तक कुपोषण, भूख और अन्य मुद्दों पर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर सकते हैं।

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