कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का स्टालिन, भाजपा सहयोगी अन्नाद्रमुक ने स्वागत किया

By भाषा | Updated: November 19, 2021 18:55 IST2021-11-19T18:55:45+5:302021-11-19T18:55:45+5:30

Stalin, BJP ally AIADMK welcome announcement of withdrawal of agriculture law | कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का स्टालिन, भाजपा सहयोगी अन्नाद्रमुक ने स्वागत किया

कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का स्टालिन, भाजपा सहयोगी अन्नाद्रमुक ने स्वागत किया

चेन्नई, 19 नवंबर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया और इसे किसानों की जीत बताया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि क्या कुछ राज्यों में आसन्न चुनाव के मद्देनजर यह फैसला किया गया है।

राज्य में प्रमुख विपक्षी दल एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक सहयोगी, अन्नाद्रमुक, ने भी इस कदम का स्वागत किया। पार्टी के संयोजक ओ पनीरसेल्वम ने कहा कि यह मोदी की "उदारता" और उनके "किसानों से मित्रवत" स्वभाव को दर्शाता है।

सत्तारूढ़ द्रमुक के अध्यक्ष, स्टालिन ने कहा कि केंद्र को कानूनों को औपचारिक तरीके से निरस्त करने के लिए संसद सत्र के पहले दिन कदम उठाने चाहिए। वह स्पष्ट तौर पर आगामी शीतकालीन सत्र की बात कर रहे थे।

प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद, स्टालिन ने ट्वीट किया कि लोकतंत्र में लोगों का, उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

स्टालिन ने ट्वीट किया, ‘‘मैं पूरे दिल से, माननीय प्रधानमंत्री के किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत करता हूं। इतिहास ने हमें सिखाया है कि लोकतंत्र में जनता की इच्छाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। मैं किसानों को बधाई देता हूं और गांधीवादी तरीकों से इसे हासिल करने के उनके दृढ़ संकल्प को नमन करता हूं।’’

उन्होंने सत्तारूढ़ द्रमुक द्वारा राज्य विधानसभा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव का जिक्र किया और कहा कि यह गर्व की बात है कि पार्टी किसानों के साथ खड़ी है।

द्रमुक अध्यक्ष ने यह भी कहा कि किसानों ने ‘‘अपने अधिकार पाने के लिए” प्रदर्शन कर “दुनिया को दिखाया कि भारत गांधी की भूमि है।”

पार्टी के एक अलग बयान में, उन्होंने विपक्ष के नेता एवं अन्नाद्रमुक के संयुक्त संयोजक के पलानीस्वामी पर तीन कानूनों का जमकर बचाव करने के लिए निशाना साधा और संसद में उनकी पार्टी के विरोध की भी याद दिलाई।

स्टालिन ने कहा, “केंद्र सरकार ने ऐसा फैसला या तो इस बात से अवगत होकर किया है कि 26 नवंबर के बाद किसानों का विरोध तेज होगा या कुछ राज्यों में चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया है। कारण चाहे जो भी हो, कानून निरस्त करने का फैसला स्वागत योग्य है।”

स्टालिन ने केंद्र से किसानों के साथ बातचीत करने और उनकी दलीलों पर ध्यान देने के अलावा साल भर के आंदोलन के दौरान मारे गए प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए मुआवाजा देने का भी आह्वान किया।

अन्नाद्रमुक के शीर्ष नेताओं पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी ने भी कृषि कानूनों पर केंद्र के फैसले का स्वागत किया।

एक बयान में, पनीरसेल्वम ने कहा कि कानून "नेक इरादे" के साथ बनाए गए थे कि किसानों की आय कई गुना बढ़ जाएगी और "अपनी जमीन खोने" सहित तमाम आशंकाओं का हवाला देते हुए उसी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया।

उन्होंने कहा, "इन परिस्थितियों में, प्रधानमंत्री ने कहा (केंद्र) किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाया और उनको वापस लेने की घोषणा की। यह उनकी उदारता और किसानों के लिए उनकी चिंता को दर्शाता है। यह उनके किसानों के प्रति मित्रवत स्वभाव पर प्रकाश डालता है।”

प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत करते हुए पनीरसेल्वम ने अपनी पार्टी की ओर से मोदी को धन्यवाद दिया।

पीएमके ने भी केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत किया। पार्टी के संस्थापक डॉ. एस रामादोस ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों के हित में किए गए फैसले का स्वागत करते हैं।’’

वहीं, एमडीएमके के संस्थापक वाइको ने कहा कि केन्द्र ने किसानों के करीब एक साल से चले आ रहे प्रदर्शन के खिलाफ ‘‘घुटने टेक दिए’’ और यह किसानों की एक ‘‘‘बड़ी जीत’’ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की।

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