जम्मू कश्मीर पुलिस के एसएसआई बाबू राम मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित

By भाषा | Updated: August 14, 2021 22:23 IST2021-08-14T22:23:29+5:302021-08-14T22:23:29+5:30

SSI Babu Ram of Jammu and Kashmir Police awarded Ashok Chakra posthumously | जम्मू कश्मीर पुलिस के एसएसआई बाबू राम मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित

जम्मू कश्मीर पुलिस के एसएसआई बाबू राम मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित

(इंबार्गो : संपादक 15 अगस्त, 2021 रात 12 बज कर एक मिनट से पहले इस खबर को प्रकाशित/ प्रसारित न करें या सोशल मीडिया पर इसका उपयोग नहीं किया जाए)

नयी दिल्ली, 14 अगस्त जम्मू कश्मीर पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) बाबू राम और कांस्टेबल अल्ताफ हुसैन भट को मरणोपरांत क्रमश: अशोक चक्र और कीर्ति चक्र से 75 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को सम्मानित किया गया।

अशोक चक्र, देश में शांति काल का सर्वोच्च वीरता सम्मान है, जबकि कीर्ति चक्र शांतिकाल के वीरता पुरस्कारों के क्रम में दूसरे स्थान पर है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सशस्त्र बलों, पुलिस और अर्द्धसैनिक कर्मियों के लिए कुल 144 वीरता पुरस्कारों के लिए स्वीकृति दी। इनमें 15 शौर्य चक्र, सेना पदक (वीरता) के लिए चार ‘‘बार’’और 116 सेना पदक (वीरता) तथा एक अशोक चक्र और एक कीर्ति चक्र शामिल हैं।

बाबू राम एक सहायक उप-निरीक्षक थे जबकि हुसैन भट ने जम्मू कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर सेवा दी।

अधिकारियों ने बताया कि बाबू राम का जन्म जम्मू क्षेत्र में पुंछ जिले के सीमावर्ती मेंढर इलाके के गांव धारना में 15 मई 1972 को हुआ था और वह बचपन से ही सशस्त्र बलों में शामिल होना चाहते थे। उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह 1999 में जम्मू कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल नियुक्त किये गये थे।

अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद वह 27 जुलाई 2002 को श्रीनगर के विशेष अभियान समूह (एसओजी) में पदस्थ किये गये और वह ऐसे कई आतंकवाद रोधी अभियानों का हिस्सा रहे, जिनमें कई आतंकवादी मारे गये।

उन्होंने बताया कि यह जांबाज पुलिसकर्मी आतंकवाद रोधी समूह में अपनी सेवा के दौरान 14 मुठभेड़ का हिस्सा रहे, जिनमें 28 आतंकवादियों को मार गिराया गया।

वहीं, कांस्टेबल भट श्रीनगर स्थित सफकदल के रथपुरा इलाके के निवासी थे।

वह गांदरबल में तैनात थे, जहां वह सुरक्षा प्राप्त एक व्यक्ति के निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) के तौर पर सेवा दे रहे थे। पिछले साल छह अक्टूबर को उक्त व्यक्ति पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘भट ने जवाबी कार्रवाई की और आतंकवादी को मार गिराया तथा सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति की जान बचा ली, लेकिन कई गोलियां लगने से वह खुद घायल हो गये और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। इस तरह वह अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए शहीद हो गये थे। ’’

शौर्य चक्र भारतीय थल सेना के छह कर्मियों, वायु सेना के दो अधिकारियों और नौ सेना के एक अधिकारी तथा छह पुलिस एवं अर्द्धसैनिक बल कर्मियों को दिया गया है। 15 शौर्य चक्र में चार मरणोपरांत दिये गये हैं।

थल सेना से शौर्य चक्र प्राप्त करने वालों में मेजर अरूण कुमार पांडे, मेजर रवि कुमार चौधरी, कैप्टन आशुतोष कुमार (मरणोपरांत), कैप्टन विकास खत्री, राइफलमैन मुकेश कुमार और सिपाही नीरज अहलावत शामिल हैं।

वहीं, नौसेना के कैप्टन सचिन रूबेन सिक्वेरा, जबकि वायु सेना के अधिकारियों ग्रुप कैप्टन परमिंदर अंतिल और विंग कमांडर वरूण सिंह शौर्य चक्र से सम्मानित किये जाने वालों में शामिल हैं।

केद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के चितेश कुमार, मनजिंदर सिंह और सुनील चौधरी को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इनके अलावा, ओडिशा पुलिस के कमांडो देबाशीष सेठी (मरणोपरांत) और सुधीर कुमार टुडू (मरणोपरांत) तथा जम्मू कश्मीर पुलिस के शाहबाज अहमद को भी इस प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है।

कुल 144 वीरता पदक की सूची में पांच नौसेना पदक (वीरता) और दो वायु सेना पदक (वीरता) भी शामिल हैं।

बयान मे कहा गया है कि राष्ट्रपति ने 28 सेना कर्मियों को ‘मेंशन इन डिस्पैच ’के लिए भी स्वीकृति दी है, जिनमें ‘ऑपरेशन रक्षक’ और ‘ऑपरेशन स्नो लिओपार्ड’ के लिए तीन (मरणोपरांत) पुरस्कार शामिल हैं।

जम्मू कश्मीर में पिछले साल आतंकवाद रोधी अभियानों में बहादुरी प्रदर्शित करने को लेकर सेना के छह कर्मियों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।

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