सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे श्री राम सेना और हनुमान सेना
By पल्लवी कुमारी | Published: July 25, 2018 06:23 PM2018-07-25T18:23:04+5:302018-07-25T18:23:04+5:30
सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। सबरीमाला मंदिर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं।
तिरुवनंतपुरम, 25 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट में केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक के मामले पर सुनवाई चल रही है। इसी बीच श्री राम सेना, हनुमान सेना, श्री अयप्पा धर्म सेना और विशाल विश्वकर्मी आयक वेदी संगठनों ने कहा है कि वह राज्य सरकार द्वारा महिलाओं का मंदिर में प्रवेश करने के फैसले के खिलाफ राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है।
राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए श्री राम सेना, हनुमान सेना, श्री अयप्पा धर्म सेना और विशाल विश्वकर्मी आयक वेदी, संगठन सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ 30 जुलाई को राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है।
बता दें कि केरल सरकार भी इस मुद्दे पर तीन बार अपने फैसले में बदलाव ला चुकी है। 2015 में राज्य सरकार ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक का समर्थन किया था। वहीं, 2017 में सरकार ने इस फैसले का विरोध किया था। 2018 में सरकार ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश मिलना चाहिए। इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश करने की इजाजत मांगी थी। केरल हाई कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को उस वक्त सही माना था।
#Kerala: Sri Ram Sena, Hanuman Sena, Sree Ayyappa Dharma Sena and Vishal Vishwakarma Aikya Vedi, call a state wide strike on July 30th against the state government's decision to support women's entry in Sabarimala temple. Hearing of the issue is underway in Supreme Court.
— ANI (@ANI) July 25, 2018
वहीं सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मंदिर एक सार्वजनिक स्थान है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि भारत जैसे देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है।
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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, मंदिर कोई प्राइवेट संपत्ति नहीं है, यह एक पब्लिक प्लेस है और सबरीमाला मंदिर जैसी सार्वजनिक जगह पर यदि पुरुष जा सकते हैं तो महिलाओं को भी प्रवेश करने का भी अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक, अगर मंदिर खुलता है, तो उसमें कोई भी जा सकता है। किस आधार पर उसमें पुरुष जा सकते हैं और महिलाओं का प्रवेश नहीं हो सकता है। यह भारत के संविधान के खिलाफ है।
गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। सबरीमाला मंदिर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। जिन महिलाओं की उम्र 50 से अधिक है वह दर्शन के लिए आते वक्त अपने साथ आयु प्रमाण पत्र लेकर आए।
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