सोनभद्र हत्याकांडः योगी सरकार विफलता को छिपाने के लिए धारा 144 का सहारा ले रही हैः मायावती
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 20, 2019 01:55 PM2019-07-20T13:55:48+5:302019-07-20T13:55:48+5:30
मायावती ने कहा कि सोनभद्र में आदिवासी समाज का उत्पीड़न व शोषण, उनकी जमीन से बेदखली व अब नरसंहार उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की कानून-व्यवस्था के मामले में विफल होने का पक्का प्रमाण है। उन्होंने कहा, ''यूपी ही नहीं, जनता भी इन सबसे अति-चिन्तित है जबकि बसपा की सरकार में एसटी तबके के हितों का खास ख्याल रखा गया।''
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी विफलता को छिपाने के लिए धारा 144 का सहारा लेकर किसी को सोनभद्र नहीं जाने दे रही है।
मायावती ने ट्वीट किया, ''यूपी सरकार जान-माल की सुरक्षा व जनहित के मामले में अपनी विफलता को छिपाने के लिए धारा 144 का सहारा लेकर किसी को सोनभद्र जाने नहीं दे रही है।'' उन्होंने कहा, ''फिर भी उचित समय पर वहाँ जाकर पीड़ितों की यथासंभव मदद कराने का बसपा विधानमण्डल दल को निर्देश दिया गया है।
यूपी सरकार जान-माल की सुरक्षा व जनहित के मामलें में अपनी विफलता को छिपाने के लिए धारा 144 का सहारा लेकर किसी को सोनभद्र जाने नहीं दे रही है। फिर भी उचित समय पर वहाँ जाकर पीड़ितों की यथासंभव मदद कराने का बीएसपी विधानमण्डल दल को निर्देश। सरकारी लापरवाही इस नरसंहार का मुख्य कारण।
— Mayawati (@Mayawati) July 20, 2019
इस नरसंहार का मुख्य कारण सरकारी लापरवाही है।'' मायावती ने कहा कि सोनभद्र में आदिवासी समाज का उत्पीड़न व शोषण, उनकी जमीन से बेदखली व अब नरसंहार उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की कानून-व्यवस्था के मामले में विफल होने का पक्का प्रमाण है। उन्होंने कहा, ''यूपी ही नहीं, जनता भी इन सबसे अति-चिन्तित है, जबकि बसपा की सरकार में एसटी तबके के हितों का खास ख्याल रखा गया।''
सोनभद्र का आदिवासी जनसंहार था पूर्वनियोजित : भाकपा-माले
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने शनिवार को कहा कि सोनभद्र का आदिवासी जनसंहार पूर्व नियोजित था और प्रशासन भूमाफिया के साथ खड़ा था । भाकपा-माले ने कहा कि घटना के दौरान जिला पुलिस और प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने पीड़ित पक्ष का फोन नहीं उठाया।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव के नेतृत्व में गुरुवार को उभ्भा गांव पंहुची माले की आठ सदस्यीय टीम ने दो दिनों की पड़ताल के बाद शनिवार को अपनी जांच रिपोर्ट जारी की। राज्य सचिव ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि पूरा मामला प्रशासन की जानकारी में था, लेकिन न तो घटना से पहले और न ही उसके दौरान कोई उपाय किये गये और एक तरह से हमलावरों को खुली छूट दे दी गई।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार में भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में आदिवासियों की बेदखली की जा रही है और उनकी पुश्तैनी जमीनें हड़पी जा रही हैं। यादव ने बताया कि जांच दल ने घटनास्थल का दौरा करने के दौरान मृतकों एवं घायलों के परिवार वालों से मिलकर संवेदना व्यक्त करने के साथ घटना की पूरी जानकारी हासिल की। जांच रिपोर्ट के अनुसार घायल महेंद्र की माता संतीपा देवी ने दल को बताया कि जिस जमीन को लेकर घटना हुई है, उस जमीन पर हम लोग चार पीढ़ियों से बसे हैं।
पहले वहां पुराना जंगल था तब से हम लोग लगातार खेती करते आ रहे हैं । रिपोर्ट में कहा गया कि घायल राजिंदर की माता भगवंती देवी ने बताया कि घटना के दिन हम लोगों को कुछ भी नहीं पता था। अचानक मालूम हुआ कि जमीन कब्जाने के लिए ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने लगभग 32 ट्रैक्टरों, सौ से अधिक लोगों और बंदूक, राइफल एवं धारदार हथियारों के साथ पहुंचकर खेत जोतना शुरू कर दिया है।
जब गांव के लोग इकट्ठा होने लगे तो उन लोगों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं । जांच रिपोर्ट के मुताबिक मृतक जवाहर के पुत्र राजपति ने बताया कि छह सौ बीघा जमीन पुराने कोआपरेटिव के नाम पर है। उक्त जमीन में पूर्व जिलाधिकारी प्रभात मिश्र ने सौ-सौ बीघा अपनी पत्नी, बहू, पुत्री के नाम करा लिया था और बाद में 2017 में गांव प्रधान को बेच दिया, जिस पर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।
पूरे घटनाक्रम पर गौर करते हुए, जांच रिपोर्ट में सोनभद्र के डीएम, एसपी को फौरन निलंबित करने, मृतकों के परिजनों को घोषित मुआवजा राशि 5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करने, उक्त जमीन पीड़ित आदिवासी परिवारों के नाम करने, आदिवासियों-वनवासियों की बेदखली तत्काल प्रभाव से रोकने और जनसंहार रचाने वालों को सख्त सजा देने की मांग की गई है।
इन मांगों पर जोर देने, घटना का प्रतिवाद करने और योगी सरकार से जवाब मांगने के लिए पार्टी 22 जुलाई सोमवार को सोनभद्र समेत राज्य भर में जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेगी।