कुछ खबरों में न्यायालय को खलनायक की तरह दिखाने का प्रयास किया गया जो दिल्ली में स्कूलों को बंद करता चाहता है: न्यायालय

By भाषा | Updated: December 3, 2021 22:20 IST2021-12-03T22:20:31+5:302021-12-03T22:20:31+5:30

Some reports try to portray the court as a villain who wants to shut down schools in Delhi: SC | कुछ खबरों में न्यायालय को खलनायक की तरह दिखाने का प्रयास किया गया जो दिल्ली में स्कूलों को बंद करता चाहता है: न्यायालय

कुछ खबरों में न्यायालय को खलनायक की तरह दिखाने का प्रयास किया गया जो दिल्ली में स्कूलों को बंद करता चाहता है: न्यायालय

नयी दिल्ली,तीन दिसंबर बढ़ते वायु प्रदूषण पर उच्चतम न्यायालय में चली सुनवाई पर आई कुछ खबरों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि उनमें ऐसा दिखाने की कोशिश की गई जैसे न्यायालय कोई ‘‘खलनायक’’ हैं जो दिल्ली में स्कूलों को बंद करना चाहते हैं।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुवायी वाली विशेष पीठ ने पीड़ा व्यक्त की और कुछ खबरों का हवाला देते हुए कहा कि इरादतन या गैरइरादतन इनमें न्यायाधीशों की छवि खराब की गई।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा,‘‘ एक बात जो हमने गौर की है वह यह है कि....मैं नहीं जानता कि यह इरादतन है अथवा गैर इरादतन,ऐसा लगता है कि मीडिया के कुछ वर्ग और कुछ लोगों ने ऐसा दिखाने की कोशिश की कि हम खलनायक हैं जो स्कूलों को बंद करने चाहते हैं। आप (दिल्ली सरकार) ने अपने आप फैसला किया। आपने कहा था कि आप कार्यालयों और स्कूलों को बंद करना चाहते हैं। आप लॉकडाउन लगाना चाहते थे और सबकुछ करना चाहते थे,हमने कोई आदेश नहीं दिया। आप आज के समाचारपत्रों को देखिए।’’

पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।

पीठ ने कहा,‘‘ कुछ वर्ग ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं जैसे हम ही नहीं चाहते कि स्कूल खुलें और हमें छात्रों के कल्याण और उनकी शिक्षा पर कोई दिलचस्पी नहीं है।’’

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा,‘‘ मेरी भी यही शिकायत है...।’’

उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि एक अंग्रेजी समाचार पत्र में यहां तक कहा गया कि शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासन को अपने हाथों में लेने की भी चेतावनी दी है।

पीठ द्वारा पूछे जाने पर सिंघवी ने समाचारपत्र का नाम बताया और कहा कि उसमें खासतौर पर कहा गया है कि सुनवायी ‘‘आक्रमक लड़ाई ’’ थी।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा,‘‘ आपके पास माध्यम है,आप जा सकते हैं और समझा सकते हैं,हर चीज की निंदा कर सकते हैं और आप जो चाहें वो कर सकते हैंलेकिन हम ये सब नहीं कर सकते। हम कहां जाएं?हमने कहां कहा कि हम प्रशासन अपने हाथ में ले सकते हैं।’’

केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि पीठ ने ऐसा जरा सा भी नहीं कहा और प्रदूषण को लेकर चिंता सभी के लिए थी।

पीठ ने कहा,‘‘ हम प्रेस की बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। हम अधिकार नहीं छीन सकते । वे माइक लेकर कुछ भी बोल सकते हैं। आप एक राजनीतिक दल से हैं और प्रेस सम्मेलन कर सकते हैंलेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते। क्या किया जाए।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने भी अपने अनुभव साझा किए कहा कि एक दिन पीठ न्यायिक ढांचे से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रही थी और उसने सुझाव दिया था कि कुछ रचनात्मक करने के लिए एक राष्ट्रीय इकाई होनी चाहिए।

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