लाइव न्यूज़ :

न्यायाधीशों के खिलाफ कुछ आरोप ‘‘झूठे’’ निकले, उच्चतम न्यायालय ने कहा

By भाषा | Updated: April 15, 2021 19:18 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 15 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायाधीशों के खिलाफ लगाए गए कुछ आरोप इतने ‘‘झूठे’’ निकले हैं कि अगर कार्यकाल के दौरान संरक्षण प्राप्त नहीं हो तो आसानी से उन्हें बाहर निकाला जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने लंबित मामलों का बोझ कम करने के लिए उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए दो या ज्यादा वर्षों के निर्धारित कार्यकाल की पैरवी की।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने कहा, ‘‘न्यायाधीशों के पद को सुरक्षित करना होगा। मैं आपको बताना चाहूंगा कि हमने न्यायाधीशों के खिलाफ लगाए गए आरोप देखे हैं जो झूठे निकले। हां, हैरान करने वाली बात है कि उनमें से कुछ आरोप पूरी तरह झूठे थे। अगर सुरक्षा नहीं हो तो आप किसी न्यायाधीश को आसानी से बाहर कर सकते हैं। तदर्थ न्यायाधीशों के लिए कार्यकाल में सुरक्षा होनी चाहिए।’’

इस पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी थे। पीठ गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) लोक प्रहरी द्वारा दाखिल याचिका पर तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर दलीलें सुन रही थी। एनजीओ ने लंबित मामलों का बोझ घटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 224 ए के तहत उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति का अनुरोध किया है।

न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुये कहा कि इस पर निर्णय बाद में सुनाया जायेगा।

संविधान का अनुच्छेद 224 ए कहता है, ‘‘किसी भी राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से अदालत के किसी न्यायाधीश या किसी अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उस राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर काम करने के लिए कह सकते हैं।’’

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश की राय से सहमति रखते हैं कि जब भी न्यायाधीशों की नियुक्ति होती है, ओछी शिकायतें की जाती है और अदालत तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति की समूची व्यवस्था को सवालिया घेरे में नहीं ला सकती।

पीठ ने कहा, ‘‘तदर्थ न्यायाधीश कमजोर निशाना नहीं हो सकते।’’

शीर्ष अदालत ने मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और कुछ अन्य वकीलों की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया कि कई पूर्व न्यायाधीश पद संभालने के लिए इच्छुक नहीं होंगे क्योंकि मध्यस्थता जैसे आकर्षक क्षेत्रों में उनकी ज्यादा दिलचस्पी हो सकती है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह फैसला पूर्व न्यायाधीशों पर ही छोड़ देना चाहिए। हम उनपर फैसला नहीं कर सकते। प्रधान न्यायाधीश तदर्थ न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के पहले निश्चित तौर पर अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों के साथ चर्चा करेंगे। अगर अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों को लगेगा कि उनके लिए कुछ और बेहतर अवसर हैं तो वे नियुक्ति को ना कह सकते हैं। ’’

उच्चतम न्यायालय ने आठ अप्रैल को लंबित मामलों का बोझ घटाने के लिए उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए व्यवस्था तय करने की हिमायत की थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतटीएमसी सांसद ने PM मोदी द्वारा बंकिम चंद्र को ‘बाबू’ की जगह ‘दा’ कहने पर जताई आपत्ति, प्रधानमंत्री को भाषण के बीच में रोका, VIDEO

भारतपहले LOC पर आग लगाओ, बारूदी सुरंगें नष्ट करो, फिर आतंकियों को धकेलने का रास्ता बनाओ: घुसपैठ के लिए पाक सेना के नए हथकंडे

भारतमुकदमों की अंबार से दबी बिहार की अदालतें, 36 लाख से अधिक लंबित मुकदमों के कारण समय पर नहीं मिल पा रहा है लोगों को न्याय

क्रिकेटIND Vs SA 1st T20I: विराट कोहली के नक्शेकदम पर चले हार्दिक पांड्या, सोलो प्रैक्टिस के लिए कटक जल्दी पहुंचे

कारोबारGold Rate Today: महंगा हुआ सोना, जानें 8 दिसंबर 2025 को दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता में सोने की कीमत

भारत अधिक खबरें

भारतजन संस्कृतिक मंचः 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती, 15 सदस्यीय आयोजन समिति का गठन 

भारतNCERT की कक्षा 7वीं की अपडेटेड टेक्स्टबुक में गजनी की क्रूरता शामिल

भारत500 करोड़ रुपये का सूटकेस दो और सीएम बनो?, पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर के बयान पर शिवकुमार ने कहा- ‘पागलों के किसी अस्पताल’ में भर्ती हो?

भारतजब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था?, पीएम मोदी ने कहा-संविधान का गला घोंट दिया गया था, वीडियो

भारत‘अंग्रेजों ने बांटो और राज करो का रास्ता चुना’, लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा-आजादी की लड़ाई, मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी, वीडियो