कुछ गैर जिम्मेदार वर्चस्ववादी देश यूएनसीएलओएस की गलत व्याख्या करने में लगे हैं : रक्षा मंत्री

By भाषा | Updated: November 21, 2021 18:58 IST2021-11-21T18:58:18+5:302021-11-21T18:58:18+5:30

Some irresponsible supremacist countries are trying to misinterpret UNCLOS: Defense Minister | कुछ गैर जिम्मेदार वर्चस्ववादी देश यूएनसीएलओएस की गलत व्याख्या करने में लगे हैं : रक्षा मंत्री

कुछ गैर जिम्मेदार वर्चस्ववादी देश यूएनसीएलओएस की गलत व्याख्या करने में लगे हैं : रक्षा मंत्री

मुंबई, 21 नवंबर भारतीय नौसेना के विध्वंसक युद्धपोत ‘विशाखापट्टनम’ को रविवार को यहां सेवा में शामिल किए जाने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्चस्ववादी प्रवृत्तियों वाले ‘‘कुछ गैर-जिम्मेदार देश’’ अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों के कारण संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) को अनुचित तरीके से परिभाषित कर रहे हैं।

सिंह ने कहा कि यह चिंता की बात है कि यूएनसीएलओएस की परिभाषा की मनमानी व्याख्या कर कुछ देशों द्वारा इसे लगातार कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपना आधिपत्य जमाने और संकीर्ण पक्षपाती हितों वाले कुछ गैर-जिम्मेदार देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक के रूप में, भारत सार्वभौमिक सिद्धांतों और शांतिपूर्ण, मुक्त, नियम-आधारित स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थन करता है। साथ ही कहा कि भारत नौवहन की स्वतंत्रता, मुक्त व्यापार और सार्वभौमिक मूल्यों के साथ एक नियम-आधारित हिंद-प्रशांत की कल्पना करता है, जिसमें भाग लेने वाले सभी देशों के हितों की रक्षा हो।

सिंह ने विश्व की स्थिरता, आर्थिक प्रगति और विकास सुनिश्चित करने के लिए वैश्वीकरण के वर्तमान युग में नौवहन की नियम-आधारित स्वतंत्रता और समुद्री मार्गों की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यूएनसीएलओएस, 1982 किसी भी देश के जलक्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र और समुद्र में बेहतर व्यवस्था के बारे में बताता है।

उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा, “मनमानी व्याख्याएं नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती हैं। कुछ गैर-जिम्मेदार देश हैं जो अपने संकीर्ण पक्षपाती हितों के लिए, इन अंतरराष्ट्रीय कानूनों की वर्चस्ववादी प्रवृत्ति के साथ नयी एवं अनुचित व्याख्याएं करते रहते हैं।”

उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर में चीन द्वीपों का सैन्यीकरण कर रहा है जिसकी वैश्विक रूप से आलोचना की जाती रही है। इस क्षेत्र को लेकर पूर्वी और दक्षिण पूर्वी कई एशियाई देशों के व्यापक दावे हैं।

वर्ष 2016 में, एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने चीन के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि उसे दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर ऐतिहासिक अधिकार प्राप्त है। समुद्र का यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हाइड्रोकार्बन की प्रचुरता वाला सागर क्षेत्र माना जाता है और यह संचार संबंधी एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग भी है। अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के आदेश को चीन ने अमान्य करार दिया था।

सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में, भारत की नौसेना की भूमिका क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

उन्होंने कहा, "हिंद-प्रशांत को खुला और सुरक्षित रखना भारतीय नौसेना का प्राथमिक उद्देश्य बन गया है।"

सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत के हित सीधे हिंद महासागर से जुड़े हुए हैं और यह क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक सुरक्षा कारणों, सीमा विवादों और समुद्री प्रभुत्व को बनाए रखने के महत्व के कारण दुनियाभर के देश अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

सिंह ने उल्लेख किया कि सैन्य उपकरणों की मांग बढ़ रही है और विभिन्न रिपोर्ट बताती हैं कि दुनियाभर में सुरक्षा लागत के 2,10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है तथा 5-10 वर्षों में यह कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारे पास अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने, नीतियों का लाभ उठाने और देश को स्वदेशी पोत निर्माण का केंद्र बनाने का अवसर है।”

प्रचंड वार करने में सक्षम स्वदेश निर्मित विध्वंसक पोत ‘विशाखापट्टनम’ पनडुब्बियों को नष्ट करने वाले रॉकेट और मिसाइल से लैस है। इसे नौसेना के शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी में सेवा में शामिल किया गया।

अधिकारियों ने बताया कि ‘आईएनएस विशाखापट्टनम’ सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मध्यम और छोटी दूरी की तोपों तथा उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार प्रणालियों सहित अन्य घातक अस्त्रों और सेंसर से भी लैस है।

नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि युद्धपोत आत्मनिर्भरता का एक शानदार उदाहरण है।

नौसेना प्रमुख ने कहा कि 41 में से 39 पोत और पनडुब्बी के ऑर्डर भारतीय शिपयार्ड को दिए गए हैं, जो आत्मनिर्भरता हासिल करने की उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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Web Title: Some irresponsible supremacist countries are trying to misinterpret UNCLOS: Defense Minister

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