प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आत्मनिर्भर भारत' से जुड़ी घोषणा का सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक, कांग्रेस ने कहा- 'एक और जुमला'
By शीलेष शर्मा | Published: June 6, 2020 07:42 AM2020-06-06T07:42:03+5:302020-06-06T07:42:03+5:30
राहुल ने अपने एक ट्वीट से मोदी पर दोहरा हमला किया. पहला सरकार की उन योजनाओं पर जो घोषित तो मोदी ने कर दीं लेकिन अभी न तो सूत न कपास जैसी स्थिति है.
नई दिल्ली। 5 जून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर बनने संबंधी बयान को लेकर सोशल मीडिया में हो रही कड़ी आलोचना के बाद अब राजनैतिक दल भी खुल कर आलोचना कर रहे हैं. कांग्रेस ने 'आत्मनिर्भर भारत' से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को 'एक और जुमला' करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री को भविष्य की आर्थिक नीति के बारे में बताना चाहिए.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कबीर का दोहा ट्वीट कर व्यंग्यात्मक लहजे में मोदी को सलाह दी- ''काल करे सो आज कर, आज करे सो अब. पल में परलय होयगी बहुरि करेगा कब''. राहुल ने अपने एक ट्वीट से मोदी पर दोहरा हमला किया. पहला सरकार की उन योजनाओं पर जो घोषित तो मोदी ने कर दीं लेकिन अभी न तो सूत न कपास जैसी स्थिति है. राहुल का दूसरा निशाना मोदी के आत्मनिर्भर के जुमले पर था.राहुल का ट्वीट आते ही पार्टी ने कपिल सिब्बल को मैदान में उतार दिया. सिब्बल ने विभिन्न क्षेत्रों में चीन और अन्य देशों से आयात तथा निवेश का हवाला देते हुए कहा कि सिर्फ बातें करने से देश आत्मनिर्भर नहीं बनता है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने मोदी के आत्मनिर्भर वाले बयान पर हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार में सिर्फ नारे गढ़े जा रहे हैं. आत्मनिर्भरता की बात प्रधानमंत्री कर रहे हैं ,जो एक और बड़ा जुमला है. हैरत तो इस बात को लेकर है कि जिस 20 लाख करोड़ रु पए के पैकेज की बात सरकार कर रही है, वह 20 साल में भी पूरा हो जाए तो बड़ी बात होगी. शोध और विकास पर पर्याप्त धन खर्च नहीं कर रही सरकार: सिब्बल ने यह दावा भी किया कि यह सरकार विश्वविद्यालयों में शोध एवं नवोन्मेष पर पर्याप्त धन खर्च नहीं कर रही है, जबकि देश के विकास एवं उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह जरूरी है.
उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो सरकार शिक्षा में निवेश करे ,वह बताए कि उसकी आर्थिक नीति क्या है,उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए उसकी क्या योजना है. शोध और विकास पर हम क्या खर्च कर रहे हैं इसकी समीक्षा होनी चाहिए. भारत में शोध एवं विकास पर जीडीपी का 0.7 फीसदी खर्च होता है. इजराइल में 4 फीसदी, जर्मनी में 3 फीसदी और कई अन्य देश भी अच्छा खासा खर्च करते हैं, यह आंकड़े बताते हैं कि हम किस आत्मनिर्भरता की दिशा में चल रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लोगों एवं उनसे सहमति रखने वालों की नियुक्तियां की जा रही हैं.