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सिद्धारमैया ने कहा, "विशुद्ध हिंदू हूं, लेकिन इच्छा होने पर बीफ भी खा सकता हूं"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: May 24, 2022 20:52 IST

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्दारमैया ने कहा कि मैं पूर्णरूप से विशुद्ध हिंदू हूं, आज तक मैंने बीफ नहीं खाया है लेकिन अगर मैं चाहूं और ऐसी मेरी इच्छा हो तो मैं बीफ भी खा सकता हूं।

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ठळक मुद्देकर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्दारमैया ने कहा कि इच्छा होने पर मैं बीफ भी खा सकता हूं आज तक मैंने बीफ नहीं खाया है लेकिन इसे खाने के लिए मैं संवैधानिक तौर पर स्वतंत्रत हूं बीफ केवल मुसलमान खाते हैं, हिंदू भी बीफ खाते हैं और क्रिश्चियन भी खाते हैं

बेंगलुरु: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने ऐसा बयान दिया, जिससे कांग्रेस फिर मुश्किलों में फंस सकती है। राज्य में चल रहे बुरका विवाद, हिंदू मेलों में मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार और हलाल मीट सहित अन्य सांप्रदायिक विवादों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्दारमैया ने बीफ को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिससे राज्य की सियायत में उथल-पुथल मचनी तय है।

पूर्व सीएम सिद्दारमैया ने कहा, "मैं पूर्णरूप से विशुद्ध हिंदू हूं, आज तक मैंने बीफ नहीं खाया है लेकिन अगर मैं चाहूं और ऐसी मेरी इच्छा हो तो मैं एकदम बीफ खा सकता हूं और इसके लिए मैं संवैधानिक तौर पर पूरी तरह से स्वतंत्रत हूं। बीफ खाना या न खान केवल मेरी मर्जी पर तय है। किसी बाहरी दबाव पर नहीं।"

इसके साथ ही कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने राज्य के मौजूदा हालात के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आरएसएस का मकसद केवल इंसानों के बीच मतभेद पैदा करना है।

कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया ने यह बात तुमकुरु में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। भाषण में उन्होंने संघ पर आरोप लगाया कि वो और अन्य संगठन कर्नाटक में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि संघ के लोग विभिन्न समुदायों के बीच टकराव पैदा कर रहे हैं ताकि धार्मिक गोलबंदी को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि बीफ खाने वाले सिर्फ एक ही समुदाय के लोग नहीं होते, जिसे इच्छा हो अपनी पसंद के अनुसार इसे अपने खाने में शामिल कर सकता है और इस पर किसी को आपत्ति करने का कोई हक नहीं है।

कार्यक्रम में बोलते हुए सिद्धारमैया ने कहा, "मैं मन, वचन और कर्म से विशुद्ध हिंदू हूं और मैंने जीवन में अभी तक बीफ नहीं खाया है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं उसे नहीं का सकता हूं। अगर मैं चाहूं और मेरी इच्छा हो तो मैं एकदम बीफ खा सकता हू और कोई नहीं होता जो मुझसे मेरे खाने के बारे में सवाल पूछ सके।"

उन्होंने आगे कहा, "खानपान, पहनावा, और बोली अलग-अलग होते हैं और इसे हमें स्वीकार करना चाहिए। आखिर क्यों कोई किसी के खानपान पर सवाल उठायेगा, जबकि संविधान सभी को समान रूप से अपनी पसंद का जीवन जीने का अधिकार देता है।"

कर्नाटक के पूर्व सीएम ने कहा, "ये बात पूरी तरह से गलत है कि बीफ केवल मुसलमान खाते हैं, हिंदू भी बीफ खाते हैं और क्रिश्चियन भी खाते हैं। यहां तक कि मैंने एक बार कर्नाटक असेंबली में भी कहा था कि आप कौन होते हो, मुझे ये बताने वाले कि मैं बीफ खाऊं या न खाऊं। यह खाने की आदत से जुड़ा मामला है और इसमें सभी को समान अधिकार हासिल है।

मालूम हो कि कर्नाटक की मौजूदा बीजेपी सरकार ने जनवरी 2021 में कर्नाटक वध रोकथाम और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2020 लागू किया था। जिसके मुताबिक राज्य में गाय, बैल, भैंस और बैल सहित अन्य मवेशियों को खरीदना, बेचना, परिवहन करना, वध करना और व्यापार करना अवैध है।

लेकिन साथ ही इस कानून में 13 साल से अधिक उम्र की भैंस और गंभीर रूप से बीमार मवेशियों को इस कानून से बाहर रखा गया है लेकिन उन्हें वध करने से पहले किसी पशु चिकित्सक द्वारा प्रमाणित कराया जाना जरूरी है। अगर पशु चिकित्सक के प्रमाणपत्र के बिना किसी सशु का वध किया गया तो उसके लिए 7 साल तक की सजा का प्रावधान ह और साथ में 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 

टॅग्स :सिद्धारमैयाBangaloreकर्नाटकबीफआरएसएस
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