लाइव न्यूज़ :

सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों के लिए अलग धर्म का दर्जा किया मंजूर, अब मोदी सरकार को लेना होगा फैसला

By रामदीप मिश्रा | Updated: March 19, 2018 18:36 IST

कर्नाटक में लिंगायत समुदाय लगभग 21 फीसदी है। इस वजह से यह निर्णय बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह समुदाय यहां की 224 सीटों में से 100 सीटों पर हार जीत तय करते हैं।

Open in App

बेंगलुरु, 19 मार्चः कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक नया कदम उठाते हुए लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है। दरअसल, सूबे में लिंगायत समुदाय के वोटरों का अहम रोल माना जाता रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस चुनाव से पहले इस समुदाय को अपने पक्ष में करने की होड़ में लगी हुई हैं, लेकिन लिंगायत समुदाय का झुकाव बीजेपी की ओर रहा है।  

कहा जा रहा है कि इसी को देखते हुए सूबे की सरकार ने सिद्धारमैया लिंगायतों की मांग पर विचार के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस नागामोहन दास की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने लिंगायत समुदाय के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की सिफारिश की थी, जिसे कैबिनेट की तरफ ने मंजूरी दे दी है। 

कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद यह सिफारिश मोदी सरकार के पास भेजी जाएगी, जिसके बाद केंद्र सरकार इस मामले पर अपना अंतिम फैसला करेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि विधानसभा चुनाव से पहले लिए गए इस निर्णय के लिए सीएम सिद्धारमैया का तुरुप का इक्का बताया जा रहा है।

आपको बता दें कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय लगभग 21 फीसदी है। इस वजह से यह निर्णय बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह समुदाय यहां की 224 सीटों में से 100 सीटों पर हार जीत तय करते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब साल 2013 के चुनाव के वक्त बीजेपी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया था तो लिंगायत समाज ने बीजेपी को वोट नहीं दिया था क्योंकि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से हैं।

बारहवीं सदी में समाज सुधारक बासवन्ना ने इस लिंगायत समाज की स्थापना की थी। लिंगायत समाज पहले हिन्दू वैदिक धर्म का ही पालन करता था, लेकिन कुछ कुरीतियों से दूर होने, उनसे बचने के लिए इस नए सम्प्रदाय की स्थापना की गई। अब ये लिंगायत समाज अपने धर्म को मान्यता दिए जाने की मांग कर रहे हैं। बासवन्ना जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। लिंगायत सम्प्रदाय के लोगों के अनुसार यह धर्म भी मुस्लिम, हिन्दू, क्रिश्चियन आदि की तरह ही है। लिंगायत सम्प्रदाय के लोग वेदों में विश्वास नहीं रखते हैं। ये मूर्ति पूजा में भी विश्वास नहीं रखते हैं।

टॅग्स :सिध्दारामैयहकर्नाटकमोदी सरकारभारतीय जनता पार्टी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो के उड़ानों के रद्द होने पर राहुल गांधी ने किया रिएक्ट, बोले- "सरकार के एकाधिकार मॉडल का नतीजा"

भारतसंचार साथी ऐप में क्या है खासियत, जिसे हर फोन में डाउनलोड कराना चाहती है सरकार? जानें

भारतSanchar Saathi App: विपक्ष के आरोपों के बीच संचार साथी ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि, संचार मंत्रालय का दावा

क्राइम अलर्टKarnataka: बेलगावी में स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म, 2 आरोपी गिरफ्तार

भारत"संचार साथी ऐप अनिवार्य नहीं, डिलीट कर सकते हैं लोग", विवाद के बीच बोले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत