पाकिस्तानी घोषित पिता की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मेरठ निवासी दो भाई-बहन, जानें क्या है पूरा मामला

By भाषा | Updated: February 13, 2022 18:36 IST2022-02-13T18:34:29+5:302022-02-13T18:36:07+5:30

मोहम्मद कमर (62) को आठ अगस्त, 2011 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से गिरफ्तार किया गया था और यहां की एक अदालत ने वीजा समाप्त होने की अवधि से अधिक समय तक देश में रहने के लिए दोषी ठहराया था।

Siblings move SC seeking release father declared Pakistani court and languishing detention centre for 7 years | पाकिस्तानी घोषित पिता की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मेरठ निवासी दो भाई-बहन, जानें क्या है पूरा मामला

नोटिस जारी किया जाता है और दो सप्ताह में इस पर जवाब दाखिल किया जाये।

Highlightsतीन साल छह महीने की जेल और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।2015 को नरेला के लामपुर स्थित निरोधक सेंटर में पाकिस्तान निर्वासन के लिए भेजा गया था।पाकिस्तान सरकार ने उसके निर्वासन को स्वीकार नहीं किया और वह अभी भी नजरबंदी केंद्र में है।

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी दो भाई-बहनों ने अपने पिता की रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिन्हें एक अदालत ने पाकिस्तानी नागरिक घोषित किया था और जो सात साल से एक निरोधक केन्द्र में बंद हैं क्योंकि पाकिस्तान ने उन्हें एक नागरिक के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

मोहम्मद कमर (62) को आठ अगस्त, 2011 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से गिरफ्तार किया गया था और यहां की एक अदालत ने वीजा समाप्त होने की अवधि से अधिक समय तक देश में रहने के लिए दोषी ठहराया था। उसे तीन साल छह महीने की जेल और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। छह फरवरी, 2015 को अपनी सजा पूरी करने के बाद, कमर को सात फरवरी, 2015 को नरेला के लामपुर स्थित निरोधक सेंटर में पाकिस्तान निर्वासन के लिए भेजा गया था। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने उसके निर्वासन को स्वीकार नहीं किया और वह अभी भी नजरबंदी केंद्र में है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने बताया कि अगर कमर को उचित शर्तों पर रिहा किया जाता है, तो वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेगा क्योंकि उसकी पत्नी और पांच बच्चे - तीन बेटे और दो बेटियां - सभी भारतीय नागरिक हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हमने फाइल देखी है, इस मामले में क्या किया जा सकता है? वैसे भी नागरिकता के मुद्दे पर क्या हो रहा है, यह देखने के लिए हम नोटिस जारी कर रहे हैं। नोटिस जारी किया जाता है और दो सप्ताह में इस पर जवाब दाखिल किया जाये।’’

पीठ ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा और इसे 28 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। पारिख ने कहा कि कमर अपनी सजा पूरी करने के बाद पिछले सात साल से एक निरोधक केन्द्र में बंद है और उसे अपने परिवार के साथ रहने के लिए रिहा किया जा सकता है। अधिवक्ता सृष्टि अग्निहोत्री के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख करने वाली उसकी बेटी और बेटे के अनुसार, उनके पिता कमर उर्फ मोहम्मद कामिल का जन्म 1959 में भारत में हुआ था।

शीर्ष अदालत में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है, ‘‘वह (कमर) 1967-1968 में लगभग 7-8 साल की उम्र में भारत से पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए वीजा पर गया था। हालांकि, उसकी मां की वहां मृत्यु हो गई, और वह अपने रिश्तेदारों की देखभाल में ही पाकिस्तान में रहता रहा।’’ इसमें कहा गया है कि कमर, वयस्क होने पर, 1989-1990 के आसपास पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भारत वापस आ गया और उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक भारतीय नागरिक शहनाज बेगम से शादी कर ली।

याचिका में कहा गया है, ‘‘विवाह के बाद पांच बच्चे पैदा हुए।’’ याचिका में कहा गया है कि कमर के पास यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि वह अपनी मां के साथ 1967-68 के आसपास पाकिस्तान गया था और उसकी मां की मृत्यु हो गई थी।

याचिका में कहा गया है कि मेरठ में, वह नौकरी कर रहा था और अपने परिवार के साथ वहां रह रहा था, जिनके पास यूआईडीएआई द्वारा जारी आधार कार्ड हैं। शुरुआत में, कमर ने 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर रिहाई का आग्रह किया ताकि वह अपने परिवार के साथ रह सके। उच्च न्यायालय ने 9 मार्च, 2017 को अपने आदेश में उसकी याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि उसके मामले पर कानून के अनुसार विचार किया जाए। 

Web Title: Siblings move SC seeking release father declared Pakistani court and languishing detention centre for 7 years

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे