शिवराज सिंह चौहान बोले- भीलवाड़ा मॉडल और ''आईआईटीटी'' फॉर्मूले से जीतेंगे इंदौर में कोविड-19 की जंग

By भाषा | Updated: April 26, 2020 14:59 IST2020-04-26T14:59:52+5:302020-04-26T14:59:52+5:30

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इंदौर शहर में भीलवाड़ा मॉडल और "आईआईटीटी" फॉर्मूले के तहत जांच व रोकथाम के उपाय किये जा रहे हैं जिनसे महामारी का संकट जल्द दूर होने की उम्मीद है।

Shivraj Singh Chauhan said - Covid-19 battle in Indore will win with Bhilwara model and IITT formula | शिवराज सिंह चौहान बोले- भीलवाड़ा मॉडल और ''आईआईटीटी'' फॉर्मूले से जीतेंगे इंदौर में कोविड-19 की जंग

शिवराज सिंह चौहान बोले- भीलवाड़ा मॉडल और ''आईआईटीटी'' फॉर्मूले से जीतेंगे इंदौर में कोविड-19 की जंग

Highlightsमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इंदौर शहर में भीलवाड़ा मॉडल और "आईआईटीटी" फॉर्मूले के तहत जांच व रोकथाम के उपाय किये जा रहे हैंचौहान ने कहा कि इंदौर में कोविड-19 की स्थिति सुधार की ओर है और हम चाहते हैं कि शहर जल्द से जल्द लॉकडाउन से बाहर निकले।

इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इंदौर शहर में भीलवाड़ा मॉडल और "आईआईटीटी" फॉर्मूले के तहत जांच व रोकथाम के उपाय किये जा रहे हैं जिनसे महामारी का संकट जल्द दूर होने की उम्मीद है। चौहान ने कहा, "इंदौर में कोविड-19 की स्थिति सुधार की ओर है और हम चाहते हैं कि शहर जल्द से जल्द लॉकडाउन से बाहर निकले। इसलिये हमने शहर में कोरोना वायरस से निपटने के लिये भीलवाड़ा मॉडल अपनाने का निर्णय किया है। इसके तहत हम शहर के प्रत्येक नागरिक की जांच के जरिये लोगों की सेहत की स्थिति का पता लगा रहे हैं।"

इंदौर में तीन मई के बाद कर्फ्यू या लॉकडाउन खुलने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सिलसिले में हालात देखकर शहर के हित में उचित फैसला किया जायेगा। उन्होंने कहा, "जब इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा घटने लगेगा, संक्रमित मरीजों की संख्या कम हो जायेगी और स्थिति नियंत्रित प्रतीत होने लगेगी, तो लॉकडाउन हटाने का निर्णय किया जा सकेगा।"  इंदौर में कोविड-19 के मरीजों के नमूनों की जांच रिपोर्ट आने में देरी पर उन्होंने कहा कि शहर में इस महामारी की जांच की दर राज्य के बाकी क्षेत्रों की तुलना में हालांकि बहुत अधिक है। लेकिन क्षमता बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच के प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया, "इंदौर में कोविड-19 की जांच के लिये अब तक 6,220 से ज्यादा लोगों के नमूने लिये गये हैं।" गौरतलब है कि मार्च के महीने में इंदौर में जब कोरोना वायरस अपने पैर जमा रहा था, तब कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार पतन के मुहाने पर थी। विश्लेषकों का मानना है कि उस समय कोरोना वायरस संक्रमण से जनता को बचाने की सरकारी तैयारियों पर राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में छायी गहरी अनिश्चितता का भी असर पड़ा। कमलनाथ सरकार की रवानगी के बाद शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को सूबे के 32वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

डेढ़ दशक के अंतराल में चौथी बार सूबे की कमान संभालने वाले 61 वर्षीय भाजपा नेता की अगुवाई वाली सरकार इंदौर में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने की चुनौती से दो-चार हो रही है जिसे मुख्यमंत्री अपने "सपनों के शहर" के रूप में भी अक्सर सम्बोधित करते हैं। चौहान ने बताया कि 30 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर में कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिये "आईआईटीटी" फॉर्मूला भी अपनाया जा रहा है। इसका मतलब आइडेंटिफिकेशन (संदिग्धों और मरीजों की जल्द पहचान), आइसोलेशन (संदिग्ध मरीजों को पृथक वास केंद्रों और पुष्ट मरीजों को अस्पतालों के पृथक वॉर्डों में तुरंत भेजना), टेस्टिंग (ज्यादा से ज्यादा नमूनों की जांच) और ट्रीटमेंट (इलाज की सुविधाएं बढ़ाना) से है।

अधिकारियों ने रविवार सुबह की स्थिति के हवाले से बताया कि इंदौर जिले में अब तक कोविड-19 के 1,176 मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें से 57 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 107 मरीजों को इलाज के बाद स्वस्थ होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है। आंकड़ों की गणना के मुताबिक जिले में कोविड-19 के मरीजों की मरीजों की मृत्यु दर रविवार सुबह तक की स्थिति में 4.85 प्रतिशत थी। जिले में इस महामारी के मरीजों की मृत्यु दर पिछले कई दिन से राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बनी हुई है। इंदौर में कोविड-19 मरीजों की ऊंची मृत्यु दर बरकरार रहने के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, "शहर में कोविड-19 संक्रमण के बाद दम तोड़ने वाले लोगों में ऐसे मरीजों की बड़ी तादाद है जिन्हें पहले से ही अन्य गंभीर बीमारियां थीं और उन्हें देरी से अस्पताल लाया गया था।" चौहान ने कहा, "कोविड-19 के प्रकोप की शुरूआत के दौरान विदेश से इंदौर आये लोगों ने जागरूकता के अभाव के साथ ही असुरक्षा और डर की भावना के चलते अपनी अंतरराष्ट्रीय यात्रा की जानकारी प्रशासन से छुपायी। ये लोग जाने-अनजाने अन्य व्यक्तियों के संपर्क में आते गये और शहर में इस महामारी का संक्रमण फैलता चला गया।"

उन्होंने बताया कि विदेश यात्रा कर मध्यप्रदेश आये करीब 55,000 लोगों की जानकारी केंद्र से "समय रहते" प्राप्त हो गयी थी। इस पर तुरंत कदम उठाते हुए ऐसे लोगों को पृथक वास में भेज दिया गया था। मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेकर प्रदेश लौटे 107 लोगों में से कुछ व्यक्ति इंदौर के भी थे। उन्होंने कहा, "ये लोग वहां (तबलीगी जमात के कार्यक्रम) से लौटकर प्रदेश के प्रमुख शहरों तथा अंदरूनी इलाकों में गये और सामने नहीं आये। इससे दुर्भाग्य से कोरोना वायरस संक्रमण और फैल गया। ऐसे व्यक्तियों की जानकारी जुटाकर प्रोटोकॉल के अनुसार कार्य किया गया और उन्हें उपचार के लिये अलग रखा गया।" इस बीच, इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रवीण जड़िया ने बताया कि शहर में कोविड-19 को लेकर करीब 2,000 टीमों की मदद से सर्वेक्षण जारी है और नागरिकों की सेहत की जानकारी जुटायी जा रही है। उन्होंने दावा किया कि सर्वेक्षण दल शहर की करीब 14 लाख आबादी तक पहुंच चुके हैं जिनमें 170 से ज्यादा रोकथाम क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में रह रहे आठ लाख लोग भी शामिल हैं। शहरी क्षेत्र में जल्द से जल्द सर्वेक्षण पूरा करने की कोशिश की जा रही है।

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