शिवसेना (यूबीटी) ने गणपति उत्सव के दौरान संसद का विशेष सत्र बुलाने पर घेरा मोदी सरकार को, कहा- "यही उनका हिंदुत्व है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 1, 2023 08:22 AM2023-09-01T08:22:02+5:302023-09-01T08:27:20+5:30
शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर तक के पांच दिवसीय संसद के विशेष सत्र को बुलाने जाने की कड़ी निंदा की है।
मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर तक के पांच दिवसीय संसद के विशेष सत्र को बुलाने जाने पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी और उसे हिंदुत्व से जोड़ते हुए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उद्धव गुट के वरिष्ठ नेता अरविंद सावंत ने इस फैसले पर बीते गुरुवार को केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की है।
अरविंद सावंत ने कहा, "मोदी सरकार आखिर कैसे उस अवधि के दौरान संसद सत्र बुला सकती है, जब महाराष्ट्र सहित पूरे देश में गणपति उत्सव मनाया जाएगा। संसद के इतिहास में गणपति उत्सव के दौरान कभी भी संसद सत्र नहीं बुलाया गया है।"
मुंबई में विपक्षी गठबंधन इंडिया के आयोजन स्थल पर शिवसेना (यूटीबी) नेता अरविंद सावंत ने कहा, "संसद के इतिहास में कभी भी किसी भी उत्सव के दौरान किसी सत्र का आयोजन नहीं हुआ है। ये बेहद आश्चर्यजनक है कि महाराष्ट्र सहित पूरे देश में जिन दिनों गणपति उत्सव मनाया जाएगा, मोद सरकार ने उन दिनों में संसद सत्र का आयोजन किया है। यही उनका असली हिंदुत्व है।"
दरअसल उद्धव गुट की शिवसेना यह मुद्दा इस कारण उठा रही है क्योंकि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है और इसमें कुल पांच बैठकें होंगी, जबकि इस साल 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का उत्सव भी है। ऐसे में महाराष्ट्र से आने वाले सांसदों के लिए यह सत्र परेशानी करने वाला होगा क्योंकि वो गणेश उत्सव के दौरान अपने संसदीय क्षेत्र में न रहकर दिल्ली स्थित संसद भवन में मौजूद रहेंगे।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस संबंध में सोशल मीडिया मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए कहा, "संसद का विशेष सत्र (17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र) 18 से 22 सितंबर तक 5 बैठकों के साथ बुलाया जा रहा है। अमृत काल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है।"
मालूम हो कि संसद का मानसून सत्र पिछले महीने ही संपन्न हुआ है। ऐसे में संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने पर विपक्षी दलों को आशंका है कि सरकार विशेष सत्र में अपने हित में कुछ विशेष फैसले पारित करवा सकती है और उसके बाद वो समय से पहले लोकसभा चुनाव का ऐलान कर सकती है।
सरकार द्वारा संसद के विशेष सत्र की घोषणा को राजनीतिक हलकों, विशेषकर विपक्षी दलों के बीच एक आश्चर्य के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि सभी पार्टियां इस साल के अंत में होने वाले पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारियों में लग गये हैं।