Shiv sena MLA Disqualification Verdict LIVE Uddhav Thackeray Vs Eknath Shinde: महाराष्ट्र में राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ रहा है। शिवसेना विभाजन के बाद एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना के दो गुटों की याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण फैसला आने वाला है।
बुधवार के फैसले का नतीजा एकनाथ शिंदे सरकार और क्षेत्रीय संगठन के प्रतिद्वंद्वी खेमों के लिए आगे का रास्ता तय करेगा। जून 2022 में शिंदे कई अन्य विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर गए, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी में विभाजन हो गया और राज्य में महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई, जिसमें एनसीपी और कांग्रेस भी सहयोगी थे।
दलबदल विरोधी कानूनों के तहत कार्रवाई की मांग करते हुए दोनों पक्षों द्वारा क्रॉस-याचिकाएं दायर की गईं और सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में स्पीकर राहुल नारवेकर को याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया था। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेन्द्र फड़नवीस ने फैसले से पहले आत्मविश्वास जताते हुए कहा कि शिवसेना-बीजेपी सरकार स्थिर रहेगी।
भाजपा नेता ने जोर देकर कहा कि गठबंधन "कानूनी" है और उम्मीद है कि स्पीकर के फैसले से उन्हें न्याय मिलेगा। फड़नवीस ने कहा कि स्पीकर उचित और कानूनी निर्णय लेंगे। हमारा पक्ष मजबूत है। हमारे द्वारा बनाई गई सरकार (एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा और शिवसेना) कानूनी रूप से मजबूत है। हमें उम्मीद है कि हमें मिलेगा।
जून 2022 में शिंदे और कई अन्य शिवसेना विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिससे शिवसेना में विभाजन हो गया और महा विकास आघाड़ी गठबंधन सरकार गिर गई। ठाकरे और शिंदे गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ याचिका दायर कीं और दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने की मांग की। शिवसेना के 56 विधायकों में से 40 शिंदे के साथ हैं।
सीएम शिंदे भी फैसले से पहले आश्वस्त रहे और कहा कि संख्या बल उनके नेतृत्व वाली शिवसेना के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को कहने का अधिकार है। हमारे पास विधानसभा और लोकसभा में बहुमत है। चुनाव आयोग ने हमारी पार्टी को आधिकारिक नाम और प्रतीक आवंटित किया है। मुझे विश्वास है और मुझे उम्मीद है कि निर्णय योग्यता के आधार पर होगा।
जानें मुख्य बातेंः
स्पीकर नार्वेकर बुधवार शाम 4 बजे विधान भवन में मामले में अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले स्पीकर के लिए फैसला सुनाने की समय सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी।
10 जनवरी तक बढ़ा दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची की पवित्रता बनाए रखी जानी चाहिए।
संविधान की 10वीं अनुसूची का उद्देश्य उन राजनीतिक दलों के निर्वाचित और नामांकित सांसदों और विधायकों के दलबदल को रोकना है।
टिकट पर वे जीतते हैं, और इसके खिलाफ कड़े प्रावधान हैं जिनके तहत उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है।
चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष और तीर' प्रतीक दिया।
ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को धधकती मशाल के साथ शिवसेना (यूबीटी) कहा गया।
शिवसेना के 56 विधायकों में से 40 शिंदे के साथ हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर उद्धव और शिंदे खेमे द्वारा दायर क्रॉस-याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएंगे।
उच्चतम न्यायालय ने 15 दिसंबर 2023 को नार्वेकर के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी विभाजन हो गया और पार्टी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी का एक धड़ा महाराष्ट्र की शिंदे-भाजपा गबंधन सरकार में शामिल हो गया था।