शिवसेना ने चीन के साथ कारोबार बढ़ने के मुद्दे पर केंद्र को घेरा

By भाषा | Published: February 25, 2021 05:07 PM2021-02-25T17:07:34+5:302021-02-25T17:07:34+5:30

Shiv Sena encircles center on increasing business with China | शिवसेना ने चीन के साथ कारोबार बढ़ने के मुद्दे पर केंद्र को घेरा

शिवसेना ने चीन के साथ कारोबार बढ़ने के मुद्दे पर केंद्र को घेरा

पुणे, 25 फरवरी शिवसेना ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सीमा पर गतिरोध के बाद एक ओर चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान होता है और उस देश के कुछ ऐप को प्रतिबंधित किया जाता है जबकि दूसरी ओर पड़ोसी देश 2020 में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार बनकर उभरता है।

पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार एक बार फिर चीनी कंपनियों के लिए ‘लाल कालीन’ बिछा रही है लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन ‘ गैर भरोसेमंद और अविश्वसनीय’ पड़ोसी है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में लिखा, ‘‘ पिछले हफ्ते भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम हुआ। दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों में तनाव कम होता नजर आ रहा है। ऐसी संभावना है कि 45 चीनी कंपनियों को भारत में काम करने की मंजूरी दी जाएगी। संक्षेप में,ऐसा लग रहा है कि कोविड-19 महामारी के बाद चीनी कंपनियों और उनके निवेश के खिलाफ मोदी सरकार का सख्त रुख ढीला पड़ रहा है।’’

पार्टी ने कहा कि दूसरे देशों के साथ परिस्थितियों के हिसाब से राजनीतिक एवं कूटनीतिक संबंध बदल रहे हैं।

सामना ने पूछा , ‘‘क्या यह संयोग है कि केंद्र ने सीमा पर तनाव कम होने के बाद चीन के साथ कारोबार पर भी रुख नरम कर दिया है?’’

संपादकीय में लिखा गया कि गत आठ महीने से सीमा संघर्ष गंभीर हो गया था, चीन की आक्रमकता के बाद गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई। भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते पर पिछले सप्ताह पहुंचे लेकिन जल्द ही सामने आया कि दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध पर से बर्फ पिघलने लगी।

उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा कि चीन सबसे अधिक ‘‘ गैर भरोसेमंद एवं अविश्वसनीय’ पड़ोसी है। कारोबार के लिए उसने सीमा पर नरम रुख अख्तियार किया है लेकिन एक बार उद्देश्य पूरा होने पर वह फिर सीमा पर समस्या उत्पन्न करने वाली कार्रवाई कर सकता है।

लेख में कहा गया, पिछले साल भारत ने टिकटॉक सहित 59 चीनी ऐप को बंद दिया था। चीन के साथ कुछ समझौतों को रद्द कर दिया गया था,भारत में चीनी निवेश पर अंकुश लगाया था और ‘आत्मनिर्भर भारत’ और राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया था।

सामना ने लिखा, ‘‘मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि कैसे वह चीन को रोकेगी....लेकिन वास्तव में आठ महीने में क्या हुआ, वह यह है कि 45 चीनी कंपनियों के लिए लाल कालीन बिछाई गई है।’’

शिवसेना ने कहा, ‘‘मंत्रालय के आंकड़ों से साफ हो गया है कि चीनी उत्पादों, ऐप को प्रतिबंधित कर एवं स्वदेशी का आह्वान कर राष्ट्रवाद की जिस हवा से बड़े गुब्बारे को भरा गया था वह फूट गया है।

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Web Title: Shiv Sena encircles center on increasing business with China

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