शिंदे गुट राज्यपाल कोश्यारी से साध सकता है संपर्क, उद्धव सरकार के खिलाफ कर सकता है अविश्वास प्रस्ताव की मांग
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 28, 2022 11:02 AM2022-06-28T11:02:32+5:302022-06-28T11:05:53+5:30
शिंदे गुट राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से संपर्क स्थापित करके उन्हें जानकारी देना चाहता है कि वो राज्य की मौजूदा महाविकास अघाड़ी सरकार से अपना समर्थन वापस लेना चाहते हैं। इस कारण सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को परखने के लिए फ्लोर टेस्ट बुलाया जाए।
दिल्ली: महाराष्ट्र की अस्थिर सियासत में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के डिप्टी स्पीकर द्वारा बागी सदस्यों की अयोग्यता वाले नोटिस पर समय सीमा बढ़ाने का आदेश दिया। एकनाथ शिंदे गुट अब अपनी अगली रणनीति के तहत राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।
राज्यपाल कोश्यारी बीते दिनों कोरोना पीड़ित होने के कारण अस्पताल में भर्ती थे लेकिन अब वो स्वास्थ्य लाभ करके राज भवन वापस आ चुके हैं। समाचार पत्र 'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक शिंदे गुट राज्यपाल कोश्यारी से संपर्क स्थापित करके उन्हें जानकारी देना चाहता है कि वो राज्य की मौजूदा महाविकास अघाड़ी सरकार से अपना समर्थन वापस लेना चाहते हैं। इस कारण सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को परखने के लिए फ्लोर टेस्ट बुलाया जाए।
खबरों के मुताबिक बागी शिंदे गुट इस सिलसिले में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से संपर्क स्थापित कर सकता है। वहीं मौजूद समय की सियासत की बात करें तो शिंदे गुट का दावा है कि उसके पास सदन के 50 से अधिक विधायकों का समर्थन है। इस कारण महाविकास अघाड़ी सरकार अल्पमत में है और उस नतीजन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसबा में अपना बहुमत पेश करना चाहिए।
वहीं इस खबर के बाद उद्धव गुट में सनसनी है। ठाकरे गुट के एक वरिष्ठ नेता ने इशारों में कहा, "जब सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा बागियों को दिये गये अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने के लिए दो हप्तों का समय दे दिया है तो निस्तित ही चिंता की बात है।"
शिंदे खेमे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बेहद उत्साहित नजर आ रहा है क्योंकि उसका दावा है कि उसके पास शिवसेना के दो-तिहाई विधायकों का समर्थन है। फिलहाल शिंदे गुट शिवसेना के कुल 55 विधायकों में से 39 विधायकों के समर्थन होने का दावा कर रहा है। इसके अलावा गुट का दावा है कि महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने के लिए उनके साथ 10 सदस्य छोटी पार्टियों से या फिर निर्दलीय हैं। इस आधार पर शिंदे गुट कुल 50 विधायकों के समर्थन की बात कह रहा है।
मालूम हो कि राज्य विधानसभा की कुल सदस्यों की संख्या 288 सदस्य है, जिसमें बीते महीने शिवसेना विधायक रमेश लटके की मृत्यु के कारण घटकर 287 हो गई है। वहीं किसी भी दल या गठबंधन को राज्य में सरकार बनाने का लिए कम से कम 144 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता है।
वहीं वर्तमान परिस्थियों की बात करें तो कांग्रेस के 44, एनसीपी के पास 53 और शिवसेना के बागियों को हटा दें तो 16 विधायक हैं। अगर बाकी अन्य 19 विधायकों को भी महाविकास अघाड़ी सरकार के साथ जोड़ दिया जाए, तब भी यह आंकड़ा 130 को पार नहीं पहुंच रहा है। इसका स्पष्ट मतलब है कि मौजूदा सरकार अल्पमत में है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने शिंदे गुट में खुशी की लहर पैदा कर दी है। फैसला आने के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा, 'यह बाला साहब के हिंदुत्व की जीत है। हमने हमेशा कहा है कि हम शिवसेना से बाहर नहीं गए हैं। हमारी लड़ाई शिवसेना के स्वाभिमान के लिए है।"
वहीं एकनाथ शिंदे के बेटे और लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे ने आरोप लगाया कि उनके पिता एकनाथ और 15 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस डिप्टी स्पीकर जरवाल ने सरकार के दबाव में भेजा था।
इस बीच भाजपा अभी भी 'वेट एंड वॉच' की रणनीति अपना रही है। प्रदेश भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने कहा, 'महाराष्ट्र की सियासत में जो भी हो रहा है वह शिवसेना का आंतरिक मामला है। हम घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए हैं लेकिन हमारा इस मामले में कोई दखल नहीं है।"