Shibu Soren Death: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता शिबू सोरेन (former Jharkhand CM Shibu Soren) के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देते हुए सोमवार को कहा कि वह जनजातीय समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने को लेकर प्रतिबद्ध थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। मोदी ने शिबू सोरेन के बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात कर अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘शिबू सोरेन जी एक जमीनी नेता थे जो लोगों के प्रति अटूट समर्पण के कारण जननेता बने।
वे जनजातीय समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से समर्पित थे।’’ मोदी ने कहा, ‘‘उनके निधन से बहुत दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से बात की और संवेदना व्यक्त की। ओम शांति।’’
उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निधन की जानकारी दी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन गुर्दे संबंधी समस्याओं के कारण एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज करा रहे थे। हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए... मैं आज ‘शून्य’ हो गया हूं।’’
शिबू सोरेन लंबे समय से नियमित रूप से अस्पताल में इलाज करा रहे थे। सर गंगा राम अस्पताल के ‘नेफ्रोलॉजी’ विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए. के. भल्ला के अनुसार, शिबू सोरेन को सुबह आठ बजकर 56 मिनट पर मृत घोषित कर दिया गया। उनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
डॉक्टर ने कहा, ‘‘वह गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित थे और उन्हें डेढ़ महीने पहले दौरा भी पड़ा था। वह पिछले एक महीने से जीवन रक्षक प्रणाली पर थे।’’ हेमंत सोरेन ने उनके पिता के राष्ट्रीय राजधानी के इस अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान 24 जून को बताया था, ‘‘उन्हें (शिबू सोरेन को) हाल में यहां भर्ती कराया गया था, इसलिए हम उन्हें देखने आए हैं।
फिलहाल उनकी स्वास्थ्य जांच की जा रही है।’’ हेमंत सोरेन ने पिछले सप्ताह कहा था कि आदिवासी नेता शिबू सोरेन ने कई जंग लड़ी हैं और वह अपने स्वास्थ्य की जंग भी जीत जाएंगे। शिबू सोरेन पिछले 38 वर्षों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता थे और पार्टी के संस्थापक संरक्षक भी थे।
झारखंड के निर्माण में शिबू सोरेन की भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा: राहुल
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर सोमवार को दुख जताते हुए कहा कि उन्होंने आदिवासियों के लिए आजीवन संघर्ष किया और झारखंड राज्य के निर्माण में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के वरिष्ठ नेता शिबू सोरेन जी के निधन का समाचार सुनकर गहरा दुख हुआ। आदिवासी समाज की मज़बूत आवाज़ बनकर सोरेन जी ने उनके हक़ और अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। झारखंड के निर्माण में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हेमंत सोरेन जी और पूरे सोरेन परिवार के साथ-साथ गुरुजी के सभी समर्थकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शिबू सोरेन के निधन पर सोमवार को शोक व्यक्त करते हुए कहा कि झामुमो नेता ने अलग झारखंड प्रदेश और वहां के लोगों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार तथा आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए आजीवन संघर्ष किया।
खड़गे ने सोरेन के पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बात करके उन्हें ढांढस बंधाया। शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन जी के निधन से मैं दुःखी हूं।
उन्होंने अलग झारखंड प्रदेश और वहां के लोगों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए आजीवन संघर्ष किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनके सुपुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से बात कर उनके परिवार और समर्थकों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की। दुःख की इस घड़ी में ईश्वर उन्हें संबल प्रदान करे।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर ‘पोस्ट’ कर कहा कि 'गुरुजी' शिबू सोरेन सिर्फ सांसद और तीन बार मुख्यमंत्री नहीं थे, बल्कि ठीक 25 साल पहले झारखंड के निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन में वह निर्णायक भूमिका में थे। उन्होंने कहा, ‘‘वह सचमुच एक महान व्यक्ति थे जिनका सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रति जुनून प्रेरणादायक था। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम, 2006 और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के निर्माण में भारी योगदान दिया।’’