अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार के फैसले खिलाफ कोर्ट जाएंगी शेहला रशीद, जानें किन परिस्थियों में मिल सकती है SC में चुनौती!

By स्वाति सिंह | Published: August 6, 2019 09:47 AM2019-08-06T09:47:19+5:302019-08-06T10:37:53+5:30

अनुच्छेद 370 के बदलने के प्रस्ताव को 'असंवैधानिक' बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। चुनौती देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 में निर्धारित प्रावधानों को आधार बनाया जा सकता है।

Shehla Rashid go court against Section 370 scraped: know in what cause constitutions can be challenged in SC! | अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार के फैसले खिलाफ कोर्ट जाएंगी शेहला रशीद, जानें किन परिस्थियों में मिल सकती है SC में चुनौती!

शेहला ने ट्वीट किया 'हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

Highlightsसोमवार को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया अनुच्छेद 370 के बदलने के प्रस्ताव को 'असंवैधानिक' बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद ने केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले की निंदा की है।उन्होंने कहा 'वह सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगी।

शेहला ने ट्वीट किया 'हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। सरकार को गवर्नर मान लेने और संविधान सभा की जगह विधानसभा को रखने का फैसला संविधान के साथ धोखा है। प्रगतिशील ताकतों से एकजुटता की अपील है। हम आज दिल्ली और बैंगलोर में विरोध प्रदर्शन करेंगे।'

बता दें कि सोमवार को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का प्रस्ताव रखा। 

इन परिस्थियों में मिल सकती है अनुच्छेद 370 के बदलने के प्रस्ताव को चुनौती 

अनुच्छेद 370 के बदलने के प्रस्ताव को 'असंवैधानिक' बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। चुनौती देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 में निर्धारित प्रावधानों को आधार बनाया जा सकता है। मालूम हो कि संविधान में अस्थायी आर्टिकल 370 को समाप्त करने का एक विशिष्ट प्रावधान निर्धारित है। 

संविधान के अनुच्छेद 370 (3) के मुताबिक, 370 को बदलने के लिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा से अनुमति जरूरी है। लेकिन जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा साल 1956 में भंग हो गई थी और इसके ज्यादातर सदस्य भी अब जीवित नही हैं। संविधान सभा के भंग होने से पहले अनुच्छेद 370 की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई थी कि इसे बाद में समाप्त किया जा सकता है या नहीं। 

सोमवार को राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर से जुड़ा संवैधानिक आदेश जारी किया। अनुच्छेद 370 में कहा गया है कि राष्ट्रपति संविधान सभा की सहमति से विशेष दर्जा वापस ले सकते हैं। लेकिन जब संविधान सभा 1956 में ही भंग हो गई थी। तो क्या इस आदेश पर नए संविधान सभा की सहमती है।  

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को जम्मू कश्मीर सरकार से संबंधित संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू) आदेश 2019 जारी किया जो राज्य में भारत का संविधान लागू करने का प्रावधान करता है । राष्ट्रपति ने संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू) आदेश 2019 जारी किया जो तत्काल प्रभाव से लागू गया। यह जम्मू कश्मीर में लागू आदेश 1954 का स्थान लेगा ।

इसमें कहा गया है कि संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य में लागू होंगे । सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 367 में उपबंध 4 जोड़ा है जिसमें चार बदलाव किये गए हैं । इसमें कहा गया है कि संविधान या इसके उपबंधों के निर्देशों को, उक्त राज्य के संबंध में संविधान और उसके उपबंधों को लागू करने का निर्देश माना जायेगा । जिस व्यक्ति को राज्य की विधानसभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के सदर ए रियासत, जो स्थानिक रूप से पदासीन राज्य की मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे हैं, के रूप में स्थानिक रूप से मान्यता दी गई है, उनके लिये निर्देशों को जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल के लिये निर्देश माना जायेगा । इसमें कहा गया है कि उक्त राज्य की सरकार के निर्देशों को, उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के लिये निर्देशों को शामिल करता हुआ माना जायेगा । 

ऐसे में यह भी सवाल उठ सकता है कि क्या संविधान सभा और विधानसभा में अंतर नहीं है। या फिर क्या सिर्फ गवर्नर की सहमति को राज्य सरकार की सहमति माना जाएगा?

Web Title: Shehla Rashid go court against Section 370 scraped: know in what cause constitutions can be challenged in SC!

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