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शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति, विकास परियोजनाओं की समीक्षा की

By भाषा | Updated: September 9, 2021 22:39 IST

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नयी दिल्ली, नौ सितंबर अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के मद्देनजर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की, जो लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का गवाह रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में अपनी अंतरिम सरकार की घोषणा करने के दो दिन बाद केंद्र सरकार और केंद्र शासित क्षेत्र प्रशासन के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ शाह की बैठक हुई है।

ऐसी खबरें आयी हैं कि पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने अपने ठिकाने अफगानिस्तान में स्थानांतरित कर लिए हैं। ये दोनों संगठन जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं और पूर्व में बड़ी संख्या में आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के साथ ही सीमा पार से घुसपैठ रोकने और केंद्र शासित प्रदेश में शांति बनाए रखने के लिए उठाए जा रहे कदमों की भी समीक्षा की।

अफगानिस्तान का नया कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी, आतंकवादी समूह हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है, जो अतीत में काबुल में भारतीय दूतावास सहित भारतीय संपत्तियों पर हमलों के लिए जिम्मेदार है।

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने पिछले हफ्ते कहा था, ‘‘मुसलमानों के रूप में, हमें कश्मीर, भारत या किसी अन्य देश में मुसलमानों के लिए अपनी आवाज उठाने का अधिकार है।’’

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि शाह ने केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और विकास से जुड़े मामलों की समीक्षा के लिये यह बैठक की।

प्रवक्ता ने कहा कि गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री के नजरिये को अमलीजामा पहनाने के लिये जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की।

बैठक में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार, रॉ प्रमुख सामंत गोयल, सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक पंकज सिंह और केंद्रीय रिजर्व पुलिसबल के प्रमुख कुलदीप सिंह शामिल थे।

माना जा रहा है कि इस बैठक में हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी की मृत्यु के बाद कश्मीर घाटी में राजनीतिक और सुरक्षा प्रभावों पर चर्चा हुई।

संगठन ने जेल में बंद मसरत आलम भट को पहले ही अपना अध्यक्ष चुन लिया है।

शाह ने 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 80,000 करोड़ रुपये के पैकेज सहित जम्मू कश्मीर में लागू की जा रही विभिन्न विकास पहलों की भी समीक्षा की।

शाह ने पूर्व में कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश के लोगों का सर्वांगीण विकास और कल्याण मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता सूची में है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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