सुप्रीम कोर्ट नहीं बदलेगा SC/ST Act पर अपना फैसला, 10 दिन बाद अगली सुनवाई

By कोमल बड़ोदेकर | Published: April 3, 2018 02:50 PM2018-04-03T14:50:24+5:302018-04-03T14:50:24+5:30

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खुली अदालत में दोपहर 2 बजे सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया है।

SC/ST Act: bharat bandh supreme court Attorney General K.K. Venugopal review petition on dalit act | सुप्रीम कोर्ट नहीं बदलेगा SC/ST Act पर अपना फैसला, 10 दिन बाद अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट नहीं बदलेगा SC/ST Act पर अपना फैसला, 10 दिन बाद अगली सुनवाई

नई दिल्ली, 3 अप्रैल। अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act/एससी-एसटी एक्ट) पर 20 मार्च को आए सुप्रीम कोर्रट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर दाखिल की रिव्यू पिटिशन को मिली मंजूरी के बाद सर्वोच्च न्यायालय की खुली अदालत में सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 20 मार्च को अपने दिए फैसले पर कायम है और उसने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि वह नहीं चाहता कि किसी बेगुनाह को सजा मिले। कोर्ट ने सभी पार्टियों से इस मामले में 2 दिनों के भीतर विस्तार से अपनी बात रखने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 10 दिनों के बाद की जाएगी। इस मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से ने रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी।  



इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि दलित आंदोलन और भारत बंद के चलते देश में हालात बहुत कठिन है। इस संवेदनशील मुद्दे पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खुली अदालत में दोपहर 2 बजे सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया है।

केंद्र ने कोर्ट से की ये अपील

20 मार्च को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र ने पुनर्विचार याचिका दाखिल  करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का 20 मार्च का फैसला SC/ ST समुदाय को संविधान के तहत दिए गए अनुच्छेद 21 के तहत जीने के मौलिक अधिकार से वंचित करेगा। 

SC/ ST के खिलाफ अपराध लगातार जारी है आंकडें बताते हैं कि कानून के लागू करने में कमजोरी है न कि इसका दुरुपयोग हो रहा है। बता दें कि जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अग्रिम जमानत का आदेश दिया था।

केंद्र ने अपनी पुनर्विचार याचिका में यह भी कहा है कि अगर अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के तहत आरोपी के अधिकारों को सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है तो SC/ ST समुदाय के लोगों को भी संविधान के अनुच्छेद 21 और छूआछात प्रथा के खिलाफ अनुच्छेद 17 के तहत सरंक्षण जरूरी है। 
अगर आरोपी को अग्रिम जमानत दी गई तो वो पीडित को आतंकित करेगा और जांच को रोकेगा।

Web Title: SC/ST Act: bharat bandh supreme court Attorney General K.K. Venugopal review petition on dalit act

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे