दिल्ली और दो अन्य शहरों में स्कूली बच्चों में अस्थमा, एलर्जी के अधिक लक्षण नजर आये: अध्ययन
By भाषा | Published: September 1, 2021 08:51 PM2021-09-01T20:51:09+5:302021-09-01T20:51:09+5:30
दिल्ली और दक्षिण भारत के दो शहरों में 3000 से अधिक स्कूली बच्चों के फेफड़ों के स्वास्थ्य को लेकर किये गये अध्ययन में उनमें अस्थमा, एलर्जी एवं बालपन में मोटापे के लक्षण पाये गये। डॉक्टरों ने बुधवार को यह दावा किया। इस अध्ययन का प्राथमिक लक्ष्य दिल्ली के निजी विद्यालयों में अध्ययनरत 13-14 और 16-17 साल के किशोरवय विद्यार्थियों के श्वसन स्वास्थ्य का आकलन करना तथा उसका प्रदूषण के लिहाज से अपेक्षाकृत स्वच्छ शहरों-- केरल के कोट्टायम एवं कर्नाटक के मैसुरू के संबंधित वर्गों के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य से तुलना करना था। मशहूर फेफड़ा विशेषज्ञ अरविंद कुमार ने बताया कि लंग केयर फाउंडेशन और पल्मोकेयर रिसर्च एंड एजुकेशन (प्योर) फाउंडेशन ने इस अध्ययन के लिए साझीदारी की थी। उनके अनुसार यह अध्ययन 2019 में शुरू हुआ था और इस दौरान इन तीनों शहरों के बिना किसी क्रम से चुने गये विद्यालयों से नमूने लिये गये।लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक न्यासी कुमार ने बताया कि 3157 बच्चों पर किया गया यह अध्ययन 31 अगस्त, 2021 को जाने माने मेडिकल जर्नल ‘लंग इंडिया’ में प्रकाशित किया गया। यह अध्ययन करने वाली टीम ने एक बयान में बताया कि अध्ययन में पाया गया कि किशोरों में अस्थमा, एलर्जी, श्वसन मार्ग में रूकावट या अस्थमा और बालपन अस्थमा के लक्षण अधिक थे। दिल्ली में 52.8 फीसद स्कूली बच्चों ने छींक, 44.9 फीसद ने आंख में पानी आने, 38.4 ने कफ, 31.5 फीसद ने सांस की तकलीफ, 11.2 ने छाती में जकड़न की शिकायत की। कोट्टायम और मैसूरु में 39.3 फीसद स्कूली बच्चों ने छींक, 28.8 फीसद ने आंख में पानी आने, 18.9 ने कफ, 10.8 फीसद ने सांस की तकलीफ, 4.7 प्रतिशत ने छाती में जकड़न की शिकायत की।अध्ययन के अनुसार लिए गए नमूनों में लड़कों में लड़कियों की तुलना में अस्थमा का प्रसार दो गुना अधिक पाया गया। तीनों जगह यह बात सामान्य तौर पर देखी गई। अध्ययन में दावा किया गया है कि दिल्ली के बच्चे अन्य दो शहरों के बच्चों की तुलना में अधिक मोटे और अधिक वजन (39.8 प्रतिशत बनाम 16.4 प्रतिशत) वाले थे।
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