सिर पर मैला ढोने की प्रथा : किसी को भी जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते, उच्चतम न्यायालय ने कहा

By भाषा | Updated: March 22, 2021 15:45 IST2021-03-22T15:45:57+5:302021-03-22T15:45:57+5:30

Scavenging practice: Cannot force anyone to answer, Supreme Court said | सिर पर मैला ढोने की प्रथा : किसी को भी जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते, उच्चतम न्यायालय ने कहा

सिर पर मैला ढोने की प्रथा : किसी को भी जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते, उच्चतम न्यायालय ने कहा

नयी दिल्ली, 22 मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह सिर पर मैला ढोने की प्रथा के मुद्दे पर राज्यों को जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता तथा वह इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई करेगा।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यिन की पीठ ने मामले को अगस्त के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

गैर सरकारी संगठन ‘क्रिमिनल जस्टिस सोसाइटी ऑफ इंडिया’ की ओर से अधिवक्ता आशिमा मंडला ने कहा कि हर पांच दिन में सिर पर मैला ढोने वाले एक व्यक्ति की मौत हो जाती है और मुद्दा राज्यसभा में भी उठ चुका है।

मंडला ने कहा कि फरवरी 2019 में मामले में नोटिस जारी किया गया था और 40 से अधिक प्रतिवादियों में से केवल 13 ने ही जवाबी हलफनामा दाखिल किया है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम लोगों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। हम इसके प्रतिकूल नतीजे निकालते हुए आगे बढ़ेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने आठ फरवरी 2019 को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से 1993 के बाद से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काम पर रखे गए सिर पर मैला ढोने वाले लोगों की संख्या के बारे में स्थिति रिपोर्ट दायर करने को कहा था।

सिर पर मैला ढोने की प्रथा को वर्ष 1993 में अवैध घोषित किया गया था।

न्यायालय ने कहा था कि मामला ‘‘गंभीर’’ है और सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए।

याचिका में सिर पर मैला ढोने वाले उन लोगों की संख्या बताए जाने का भी आग्रह किया गया है जिनकी 1993 से बाद के वर्षों में मौत हुई है।

इसमें सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और भारतीय रेलवे को सिर पर मैला ढोने वाले लोगों की मौत की जांच करने और प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लोगों से ऐसा काम करानेवाले अधिकारियों, एजेंसियों, ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है।

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Web Title: Scavenging practice: Cannot force anyone to answer, Supreme Court said

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