लॉकडाउन में पूरी सैलरी, सुप्रीम कोर्ट का आदेश, कंपनियों पर कार्रवाई ना करें सरकार
By निखिल वर्मा | Updated: June 12, 2020 12:12 IST2020-06-12T11:24:07+5:302020-06-12T12:12:28+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को पूरा पारिश्रमिक देने में असफल रहे निजी प्रतिष्ठानों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय के सर्कुलर पर चिंता व्यक्त की है. (लोकमत फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सरकारी आदेश बावजूद अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं देने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर फैसला सुनाया। शीर्ष कोर्ट ने नियोक्ताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया। कर्मचारियों की सैलरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 4 हफ्ते में जवाब मांगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तब तक उद्योगों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के श्रम विभागों के कर्मचारियों और नियोक्ताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए बातचीत की जाएगी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि उद्योगों और श्रमिकों को एक दूसरे की जरूरत है और उन्हें पारिश्रमिक के भुगतान का मुद्दा एक साथ बैठकर सुलझाना चाहिए।
Justice Bhushan says,' We directed no coercive action to be taken against employers.Our earlier orders will continue.A detailed affidavit has to be filed by Centre in last week of July.Negotiation b/w employees&employers to be facilitated by State Government labour departments'. https://t.co/rWEt0HWisi
— ANI (@ANI) June 12, 2020
गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर सभी कंपनियों और नियोक्ताओं को निर्देश दिया था कि वे अपने यहां कार्यरत सभी श्रमिकों और कर्मचारियों को बगैर किसी कटौती के लॉकडाउन की अवधि में पूरे पारिश्रमिक का भुगतान करें। श्रम एवं रोजगार सचिव ने भी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा था जिसमें नियोक्ताओं को यह सलाह देने के लिये कहा गया था कि कोविड-19 महामारी के मदेनजर वे अपने कर्मचारियों को नहीं हटायें ओर न ही उनका पारिश्रमिक कम करें।
सुप्रीम कोर्ट ने इसी मसले पर फैसला सुनाया है।