SC to Tamil Nadu minister V Senthil Balaji: हमने आपको जमानत दी और अगले दिन आप मंत्री बन गए?, सेंथिल बालाजी को लेकर दिल्ली से चेन्नई तक हल्ला बोल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 3, 2024 13:36 IST2024-12-03T13:35:51+5:302024-12-03T13:36:49+5:30

SC to Tamil Nadu minister V Senthil Balaji: न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘हमने आपको जमानत दी और अगले दिन आप मंत्री बन गए। कोई भी यह सोचेगा कि अब वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के कारण गवाह दबाव में होंगे। यह क्या हो रहा है?’

SC to Tamil Nadu minister V Senthil Balaji We grant bail and next day you become minister Supreme Court questions Senthil Balaji's appointment Minister getting bail | SC to Tamil Nadu minister V Senthil Balaji: हमने आपको जमानत दी और अगले दिन आप मंत्री बन गए?, सेंथिल बालाजी को लेकर दिल्ली से चेन्नई तक हल्ला बोल

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Highlightsआप वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हैं, तो गवाहों पर दबाव होगा। यह क्या हो रहा है?अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर तय की है। कैबिनेट सहयोगी को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद द्रमुक नेता वी. सेंथिल बालाजी को तमिलनाडु सरकार में मंत्री बनाये जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को मामले में गवाहों पर ‘‘दबाव’’ डालने की आशंका जताने वाली याचिका पर सुनवाई करने को लेकर सहमति व्यक्त की। यह कथित धन शोधन मामला नौकरी के बदले नकदी ‘घोटाले’ से संबंधित है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने हालांकि, एक शिकायतकर्ता द्वारा दायर याचिका पर बालाजी को जमानत देने के शीर्ष अदालत के 26 सितंबर के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। पीठ ने बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘‘हमने आपको जमानत दे दी और अगले दिन आप मंत्री बन गए।

कोई भी यह सोच सकता है कि अब जब आप वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हैं, तो गवाहों पर दबाव होगा। यह क्या हो रहा है?’’ हालांकि, पीठ ने कहा कि वह 26 सितंबर के आदेश को वापस नहीं लेगी। न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि अदालत इस मामले में कोई नोटिस जारी नहीं करेगी, बल्कि जांच का दायरा यहां तक सीमित रखेगी कि क्या गवाहों पर मामले में गवाही देने के संबंध में कोई ‘‘दबाव’’ तो नहीं होगा।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आशंका यह है कि दूसरे प्रतिवादी (बालाजी) के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, गवाह ऐसे व्यक्ति के खिलाफ गवाही देने की मानसिक स्थिति में नहीं होंगे, जो कैबिनेट मंत्री का पद संभाल रहा है। यह एकमात्र पहलू है जिस पर प्रथम दृष्टया हम विचार करने के लिए इच्छुक हैं।’’ अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर तय की है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता वी. सेंथिल बालाजी को धन शोधन के एक मामले में जमानत मिलने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली राज्य कैबिनेट में फिर से शामिल करने पर उच्चतम न्यायालय का सवाल वास्तव में मुख्यमंत्री पर ‘केंद्रित’ था और उन्हें अपने कैबिनेट सहयोगी को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए।

तमिलनाडु भाजपा इकाई के उपाध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता नारायणन तिरुपति ने उच्चतम न्यायालय द्वारा सेंथिल बालाजी की बहाली के संबंध में पूछे गए ‘क्या हो रहा है’ के सवाल की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि यह सवाल मुख्यमंत्री से पूछा गया था। तिरुपति ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘क्या इस सवाल का कारण सेंथिल बालाजी थे? नहीं। यह सवाल मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से पूछा गया है।

मंत्री बनना सेंथिल बालाजी का अपराध नहीं है। सवाल यह है कि स्टालिन उन्हें मंत्री के रूप में वापस क्यों लाए।’’ उन्होंने कहा कि स्टालिन एक ‘जिम्मेदार मुख्यमंत्री’ के तौर पर सेंथिल बालाजी से कह सकते थे कि ‘मामले से बाहर आने के बाद’ उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। भाजपा नेता ने दावा किया कि सेंथिल बालाजी ‘400 दिनों से अधिक समय तक’ सलाखों के पीछे रहे क्योंकि ऐसी संभावना थी कि वह मामले में ‘गवाहों पर दबाव डाल सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में, केवल मुख्यमंत्री स्टालिन को ही जवाब देना होगा कि बालाजी फिर से मंत्री क्यों बने।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा है और सेंथिल बालाजी को तुरंत मंत्रिमंडल से हटा देना चाहिए....।’’ तिरुपति ने कहा कि पांच साल पहले सेंथिल बालाजी के द्रमुक में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री ने उनकी खूब आलोचना की थी, ‘उन्हें भ्रष्ट कहा था और फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।’

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में बालाजी को कैबिनेट मंत्री बहाल करने पर सोमवार को चिंता व्यक्त की थी। कुछ ही दिनों पहले उच्चतम न्यायालय ने नौकरी के बदले नकदी घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में उन्हें जमानत दे दी थी। न्यायालय ने इस मामले में गवाहों की स्वतंत्रता पर आशंका जताने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।

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