सबरीमाला: पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित, केरल सरकार ने किया पुरजोर विरोध

By पल्लवी कुमारी | Updated: February 6, 2019 15:45 IST2019-02-06T15:45:22+5:302019-02-06T15:45:22+5:30

सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं का केरल सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने पुरजोर विरोध किया।

SC reserves the judgement on a batch of review petitions Sabarimala temple | सबरीमाला: पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित, केरल सरकार ने किया पुरजोर विरोध

सबरीमाला: पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित, केरल सरकार ने किया पुरजोर विरोध

Highlightsसुप्रीम कोर्ट में महिलाओं ने बताया, मंदिर में प्रवेश के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उनकी जान को खतरा है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं बिंदु और कनकदुर्गा भी अपना-अपना पक्ष रखा है।

सबरीमाला विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा। सुप्रीम कोर्ट अब फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली 48 याचिकाओं पर विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं बिंदु और कनकदुर्गा भी अपना-अपना पक्ष रखा है। सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं ने बताया, मंदिर में प्रवेश के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उनकी जान को खतरा है। 

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर. एफ. नरीमन, जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ सबरीमाला संबंधी फैसले पर पुनर्विचार करेगी। सबरीमाला मंदिर का रखरखाव देख रहे त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं को भगवान अयप्पा के मंदिर में पूजा का आदेश मिलना चाहिए।  


इंदिरा जयसिंह ने न्यायालय से कहा, दलित हिन्दू महिला बिन्दू और उसका परिवार सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहा है। उसकी मां को जान से मारने की धमकी मिली है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ 28 सितंबर, 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं।

दायर याचिकाओं का केरल सरकार ने किया विरोध

सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं का केरल सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने पुरजोर विरोध किया। केरल सरकार ने इन पुनर्विचार याचिकाओं का पुरजोर विरोध करते हुये कहा कि इनमें से किसी भी याचिका में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं बताया गया है, जिसकी बिना पर 28 सितंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता हो। 

नायर सर्विस सोसायटी की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल के परासरन ने बहुमत के फैसले की आलोचना की और कहा कि संविधान का अनुच्छेद 15 देश के सभी नागरिकों के लिये सारी सार्वजनिक और पंथनिरपेक्ष संस्थाओं को खोलता है परंतु इस अनुच्छेद में धार्मिक संस्थाओं को शामिल नहीं किया गया है।

संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुये परासरन ने कहा कि समाज में व्याप्त अस्पृश्यता के उन्मूलन की बात करने वाले संविधान के अनुच्छेद का शीर्ष अदालत के निर्णय में गलत इस्तेमाल हुआ है क्योंकि कतिपय आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से वंचित करना जाति पर आधारित नहीं है। पूर्व अटॉर्नी जनरल ने सबरीमला मंदिर में स्थापित मूर्ति के चरित्र का जिक्र करते हुये कहा कि न्यायालय को इस पहलू पर भी विचार करना चाहिए था।

Web Title: SC reserves the judgement on a batch of review petitions Sabarimala temple

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