निर्भया के तीनों दोषियों को होगी फांसी, पुनर्विचार याचिका खारिज
By स्वाति सिंह | Published: July 9, 2018 01:47 PM2018-07-09T13:47:49+5:302018-07-09T13:47:49+5:30
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने मुकेश (29), पवन गुप्ता (22) और विनय शर्मा की याचिका पर अपना फैसला सुनाया।
नई दिल्ली, 9 जुलाई: 'निर्भया’सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में चार दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने मुकेश (29), पवन गुप्ता (22) और विनय शर्मा की याचिका पर अपना फैसला सुनाया।
2012 Delhi gang-rape case: Supreme Court dismisses review pleas filed by 3 of the 4 convicts seeking reduction of their death sentence to a life term, upholds its earlier order of death sentence. pic.twitter.com/0OfFO8qIWo
— ANI (@ANI) July 9, 2018
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इससे पहले सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्भया मामले की कार्यवाही को देश भर में सीधे प्रसारण के मांग की मंजूरी दी है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सभी पक्षकारों से कहा कि वे अदालत की कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिये दिशा निर्देश तैयार करने के बारे में अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल को अपने सुझाव दें। शीर्ष अदालत ने तीन मई को न्यायिक कार्यवाही के सीधा प्रसारण, वीडियो रिकार्डिंग या लिप्यांतरण के बारे में केन्द्र सरकार से जवाब मांगा था।
अटार्नी जनरल ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण दुनिया के अनेक देशों में एक स्वीकार्य परंपरा है। शीर्ष अदालत ने न्यायिक कार्यवाही में पारदर्शिता लाने के इरादे से पिछले साल प्रत्येक राज्य की निचली अदालतों और न्यायाधिकरणों में सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने यह निर्देश कानून की छात्र स्वपनिल त्रिपाठी की याचिका पर दिया था। इस याचिका में शीर्ष अदालत में परिसर में ही सीधे प्रसारण के कक्ष स्थापित करने और कानून की पढ़ाई कर रहे इंटर्न की इस तक पहुंच उपलब्ध कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।
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शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। उससे दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और गंभीर चोट पहुंचाने के बाद सड़क पर फेंक दिया था। सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था। उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया। उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया।
(भाषा इनपुट के साथ )
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