भ्रष्टाचार समाज के लिए गंभीर खतरा, इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 18, 2023 08:47 AM2023-04-18T08:47:24+5:302023-04-18T10:14:26+5:30
अदालत ने कहा, ‘‘यह ठीक ही कहा गया है कि भ्रष्टाचार एक ऐसा पेड़ है, जिसकी शाखाएं हर जगह फैल जाती हैं। इसलिए और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।’’
नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के एक अधिकारी को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि भ्रष्टाचार समाज के लिए एक गंभीर खतरा है और इससे सख्ती से निपटना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि भ्रष्टाचार न केवल सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाता है, बल्कि सुशासन को भी प्रभावित करता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने आईआरएस अधिकारी संतोष करनानी को उच्च न्यायालय से मिली अग्रिम जमानत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर रद्द कर दी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘कथित अपराध की प्रकृति और गंभीरता को उच्च न्यायालय द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए था। भ्रष्टाचार हमारे समाज के लिए एक गंभीर खतरा है और इससे सख्ती से निपटना चाहिए। यह न केवल सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाता है, बल्कि सुशासन को भी प्रभावित करता है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि आम आदमी सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित है और सबसे ज्यादा प्रभावित है। अदालत ने कहा, ‘‘यह ठीक ही कहा गया है कि भ्रष्टाचार एक ऐसा पेड़ है, जिसकी शाखाएं हर जगह फैल जाती हैं। इसलिए और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।’’
उधर,उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक अन्य वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी राजीव भरतरी को वन विभाग के प्रमुख (एचओएफएफ) के रूप में बहाल करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने संबंधी उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के तीन अप्रैल, 2023 के आदेश पर रोक लगाई जाएगी।
अदालत ने पूर्व एचओएफएफ विनोद कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। शीर्ष अदालत की पीठ ने प्रतिवादियों को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय भी दिया। भरतरी इस महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश के अगले दिन चार अप्रैल को एचओएफएफ के तौर पर फिर से कार्यभार संभाला था। कॉर्बेट के बफर जोन में पखरो और मोरघट्टी वन प्रभागों में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और निर्माण के आरोपों के बाद भरतरी को नवंबर 2021 में वन विभाग में एक बड़े फेरबदल के तहत पद से हटा दिया गया था।