Savitribai Phule Jayanti 2024: समाज के तिरस्कार के बाद भी बनी देश की पहली महिला शिक्षिका, पढ़े सावित्रीबाई फुले के ये अनमोल विचार
By अंजली चौहान | Updated: January 3, 2024 10:16 IST2024-01-03T10:16:21+5:302024-01-03T10:16:28+5:30
Savitribai Phule Jayanti 2024: सामाजिक परिवर्तन के लिए फुले की प्रतिबद्धता 1854-55 में भारत में साक्षरता मिशन की स्थापना तक विस्तारित हुई, जो पूरे देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी।

Savitribai Phule Jayanti 2024: समाज के तिरस्कार के बाद भी बनी देश की पहली महिला शिक्षिका, पढ़े सावित्रीबाई फुले के ये अनमोल विचार
Savitribai Phule Jayanti 2024: 19वीं सदी के दौरान शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अग्रणी रहीं सावित्रीबाई फुले का आज के दिन 3 जनवरी, 1831 को जन्म हुआ था। इस दिन को उनकी जयंती के रूप में याद किया जाता है। सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली महिला स्कूल शिक्षिका के रूप में सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से महिलाओं और अछूतों के उत्थान के लिए अपना जीवन और साक्षरता को समर्पित कर दिया।
9 साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह एक कार्यकर्ता और समाज सुधारक ज्योतिराव फुले से हुआ था। ज्योतिराव फुले ने सावित्रीबाई फुले को शिक्षा ग्रहण कराई और दंपति ने महिलाओं और दलितों के उत्थान के लिए शिक्षा का मार्ग खोला।
ऐसे में वर्तमान समय में हर नारी के लिए उनके विचारों को पढ़ना जरूरी है ताकि वह अपने जीवन में सावित्रीबाई फुले को प्रेरणा मानकर शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाए।
सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर पढ़े ये अनमोल विचार
1- आलस्य दरिद्रता का लक्षण है। यह ज्ञान, धन और सम्मान का शत्रु है और आलसी व्यक्ति को इनमें से कुछ भी नहीं मिलता है।
2- शिक्षा महान समतुल्य है और यह हमें हमारी गुफाओं से बाहर निकालेगी।
3- यदि तुम्हारे पास कोई ज्ञान नहीं है, कोई शिक्षा नहीं है और तुम उसके लिए लालायित नहीं हो, तुम्हारे पास बुद्धि तो है लेकिन उस पर काम नहीं करते, तो तुम मनुष्य कैसे कहला सकते हो?
4- शिक्षा महान समतुल्य है और यह हमें हमारी गुफाओं से बाहर निकालेगी।
5- शिक्षा के बिना एक महिला बिना जड़ या पत्तियों के बरगद के पेड़ की तरह होती है; वह अपने बच्चों का भरण-पोषण नहीं कर सकती और न ही स्वयं जीवित रह सकती है।
6- सीखने की कमी घोर पाशविकता के अलावा और कुछ नहीं है। ज्ञान प्राप्ति के माध्यम से वह अपनी निम्न स्थिति को खो देता है और उच्च स्थिति को प्राप्त कर लेता है।
7- हम इससे उबरेंगे और भविष्य में सफलता हमारी होगी, भविष्य हमारा है।
8- मेरा मानना है कि शिक्षा हर महिला की मुक्ति की कुंजी है।
9- जागो, उठो और शिक्षित करो, परंपराओं को तोड़ो-मुक्त करो।
10- ज्ञान के बिना सब खो जाता है, ज्ञान के बिना हम पशु बन जाते हैं।
11- अब खाली मत बैठो, जाओ, शिक्षा प्राप्त करो। उत्पीड़ितों और त्यागे हुए लोगों के दुख को समाप्त करें।
बता दें कि सावित्री बाई फुले ने 1852 में, महिला सेवा मंडल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना था। विशेष रूप से, यह मंच स्थापित सामाजिक पदानुक्रम को चुनौती देते हुए सभी जातियों के सदस्यों को एक साथ लाया।
उन्होंने प्रचलित सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी मोर्चा संभाला, बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया और विधवा पुनर्विवाह की वकालत की। सामाजिक परिवर्तन के लिए फुले की प्रतिबद्धता 1854-55 में भारत में साक्षरता मिशन की स्थापना तक विस्तारित हुई, जो पूरे देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी।
फुले द्वारा स्थापित सत्यशोधक समाज ने सत्यशोधक विवाह को बढ़ावा देने की मांग की, जो एक क्रांतिकारी अवधारणा थी जिसमें कोई दहेज नहीं लिया जाता था। इस कदम ने प्रचलित सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी और इसका उद्देश्य वैवाहिक संबंधों में समानता को बढ़ावा देना था।