राजीव कुमार सर्विलांस में गुरु हैं, CBI उन्हें पकड़ न पाएगी: कोलकाता पुलिस
By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: September 24, 2019 13:47 IST2019-09-24T13:47:44+5:302019-09-24T13:47:44+5:30
राजीव कुमार 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं। पुलिसवालों का कहना है कि राजीव कुमार ने अपराधों का पता लगाने के तीरीकों नया आयाम देने और उसके लिए व्यूहरचना बनाने के लिए सर्विलांस ड्रोन, सुरक्षा कैमरे, ट्रैकिंग डिवाइस और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसी चीजें खरीदी थीं। उनका इस्तेमाल उन्होंने पुलिस फोर्स को प्रशिक्षित करने के लिए भी किया था।

पश्चिम बंगाल के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार। (फाइल फोटो)
सारदा और रोजवैली चिटफंड घोटाले को लेकर कोलकाता में छापे मार रही सीबीआई को पश्चिम बंगाल के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार का सुराग नहीं लग रहा है। राजीव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने घोटाले के कुछ प्रभावशाली आरोपियों को बचाने के लिए सबूत छिपा दिए हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई कई दफा राजीव कुमार को पूछताछ के लिए समन जारी कर चुकी है। सीबीआई लगातार राजीव कुमार को ट्रैक करने की कोशिश कर रही है लेकिन कोलकाता पुलिस के कई लोगों का कहना है कि जांच एजेंसी के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, कोलकाता पुलिस के कई लोगों के ने कहा कि राजीव कुमार सर्विलांस में मास्टर (निगरानी तंत्र के गुरु) हैं, उनके बारे में सीबीआई पता नहीं लगा पाएगी।
पुलिस के जिन अधिकारियों ने राजीव कुमार के नेतृत्व में काम किया है, उनमें से कुछ का कहना है, ''कुमार जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव तक कोलकाता पुलिस का नेतृत्व किया है, वह इलेक्ट्रॉनिक्स सर्विलांस में मास्टर आदमी हैं और उन्होंने कोलकाता पुलिस द्वारा अपराध का पता लगाने के तरीकों को नया आयाम दिया है।''
बता दें कि राजीव कुमार आईआईटी-रुड़की से कंप्यूटर इंजीनियर हैं, जिन्होंने बाद में पश्चिम बंगाल पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (CID) की कमान संभाली थी।
राजीव कुमार 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं। पुलिसवालों का कहना है कि राजीव कुमार ने अपराधों का पता लगाने के तीरीकों नया आयाम देने और उसके लिए व्यूहरचना बनाने के लिए सर्विलांस ड्रोन, सुरक्षा कैमरे, ट्रैकिंग डिवाइस और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसी चीजें खरीदी थीं। उनका इस्तेमाल उन्होंने पुलिस फोर्स को प्रशिक्षित करने के लिए भी किया था।
राजीव कुमार के बारे में कहा जाता है कि वह चमक-दमक से दूर रहते हैं और मीडिया के सामने आने से बचते हैं। आतंकियों और माफियाओं को ट्रैक कर धर-पकड़ने में खूब कामयाबी पाने के कारण उन्होंने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार का भरोसा जीता है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 सितंबर को कुमार को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने के अपने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया था। जिसके बाद राजीव कुमार का मोबाइल फोन बंद हो गया और सिक्यॉरिटी स्टाफ भी शांत हो गए। सीबीआई के लिए उनके संभावित स्थान को ट्रैक करना असंभव सा हो गया है।