इंटरव्यू: लंपी वायरस का कितना हुआ असर, कैसे हैं अब हालात और राजस्थान पर क्यों पड़ी सबसे ज्यादा मार? केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने दिया जवाब

By शरद गुप्ता | Published: October 26, 2022 03:00 PM2022-10-26T15:00:37+5:302022-10-26T15:00:37+5:30

लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स)शरद गुप्ता ने केंद्र सरकार में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्यमंत्री संजीव बालियान से लंपी वायरस के कहर को लेकर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू

Sanjeev Balyan interview says No need to be afraid of Lumpy virus, situation is under control | इंटरव्यू: लंपी वायरस का कितना हुआ असर, कैसे हैं अब हालात और राजस्थान पर क्यों पड़ी सबसे ज्यादा मार? केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने दिया जवाब

लंपी से डरने की जरूरत नहीं, हालात काबू में: संजीव बालियान (फाइल फोटो)

पिछले डेढ़ महीने से महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में गोवंश लंपी वायरस के कहर का सामना कर रहा है. संक्रमित गाय की त्वचा पर फफोले पड़ जाते हैं और वह दूध देना बंद कर देती है. इसी बारे में लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता ने केंद्र सरकार में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्यमंत्री संजीव बालियान से विस्तृत बातचीत की. प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :

लंपी वायरस का देश में कितना असर हुआ है?

यह वायरस 2019 में पहली बार भारत आया. तब इसका असर बहुत कम क्षेत्र में था. इसलिए इसकी ओर लोगों का ध्यान नहीं गया. इस बार यह बहुत बड़े स्तर पर आया है. 18 राज्यों में इसका असर दिख रहा है. इसीलिए हम इसे बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं. अभी तक लगभग 24 लाख गाय इस बीमारी से प्रभावित हुई हैं. लगभग एक लाख 15 हजार गायों की मृत्यु हुई है. फिलहाल लगभग 10 हजार जानवर प्रतिदिन इस वायरस का शिकार बन रहे हैं. यह देखते हुए कि देश में गायों की संख्या 20 करोड़ है, यह कह सकते हैं कि बीमारी का बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ है.

किन राज्यों में वायरस का सबसे ज्यादा असर पड़ा है?

राजस्थान और महाराष्ट्र में. इनमें भी राजस्थान में इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर हुआ है. वहां वैक्सीनेशन का काम कुछ देर से शुरू हो पाया. जिन राज्यों ने रिंग वैक्सीनेशन यानी प्रभावित क्षेत्र के चारों ओर के पशुओं को वैक्सीन लगाई, वहां यह बहुत तेजी से काबू में आया है.

तो राजस्थान में इसका इतना ज्यादा असर क्यों हुआ?

छोटे किसानों में अपनी आय बढ़ाने के लिए दुधारू पशुओं को पालने का चलन है. राजस्थान में खेती बहुत समृद्ध नहीं है. इसीलिए अधिकतर किसान गाय का दूध बेचकर घर चलाते हैं. लेकिन वहां ज्यादा असर इसलिए भी पड़ा क्योंकि लोगों में यह बात घर कर गई कि बीमारी होने के बाद वैक्सीन नहीं लगवाना चाहिए. बीमार होने वाले में गौशाला की गाय ज्यादा है क्योंकि वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग कर पाना संभव नहीं होता इसलिए एक के बाद एक गाय इस वायरस से प्रभावित होती जा रही हैं.

सरकार ने काबू पाने के लिए क्या-क्या उपाय किए हैं?

वायरस पर रोकथाम पाने के लिए हमारे पास सीपॉक्स वैक्सीन है जो हम लगातार राज्यों तक भेज रहे हैं. उन्हें इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं.

कितनी गायों को वैक्सीन लगा दी गई है?

अभी तक हम तीन करोड़ से ज्यादा वैक्सीन लगा चुके हैं. लगभग एक करोड़ वैक्सीन की डोज अभी भी राज्य सरकारों के पास है. एक करोड़ और वैक्सीन का ऑर्डर हम पहले ही दे चुके हैं. यानी कुल मिलाकर पांच करोड़ वैक्सीन डोज हमने पिछले 1 महीने के दौरान उपलब्ध कराने का प्रयास किया है. 1 सितंबर तक महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के 70% गायों को यह वैक्सीन लगा दी है.

इतनी जल्दी वैक्सीन बना लेना बड़ी उपलब्धि है. क्या इस पर पहले से काम चल रहा था ?

यह वायरस विदेश में पहले से मौजूद था. लेकिन पिछले 3 वर्ष से यह देश में गायों को प्रभावित कर रहा था, इसलिए इस पर पहले से वैज्ञानिक काम कर रहे थे. इसीलिए इतनी तेजी से यह वैक्सीन उपलब्ध हो पाई. फिलहाल देश में दो ही कंपनियां इसे बना रही हैं. हमने उनसे अनुरोध किया है कि बाकी सभी काम रोक कर वे सीपॉक्स वैक्सीन ही बनाएं. इस समय जिस प्रदेश से जितनी वैक्सीन की मांग हो रही है हम उतनी डोज़ उपलब्ध कराने में सक्षम हैं.

लंपी से दूध के उत्पादन पर कितना असर पड़ा है?

लंबी वायरस का सबसे पहला असर दूध पर पड़ता है. गाय दूध देना बंद कर देती है. लेकिन क्योंकि 20 करोड़ में से सिर्फ 24 लाख गायें ही इस बीमारी से प्रभावित हुई हैं, इसलिए कहा जा सकता है कि दूध उत्पादन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है.

इस वायरस का असर पूर्ण रूप से कब तक खत्म होने की उम्मीद है?

2019 के बाद पशुओं को वैक्सीन लगाने का काम केंद्र सरकार ने अपने हाथ में ले रखा है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने 12500 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की हुई है. इससे पहले वैक्सीन की 60% धनराशि केंद्र सरकार देती थी और 40% राज्य सरकार. लेकिन 3 वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री जी ने सारी जिम्मेदारी केंद्र के हवाले कर दी है. इससे न सिर्फ क्वालिटी कंट्रोल बना रहता है बल्कि वैक्सीन के दाम भी एक जैसे रहते हैं. जहां जिस राज्य को जितनी जरूरत होती है हम उसे उतनी मदद पहुंचा रहे हैं. हमें आशा है कि हम लंपी पर काबू पाने में बहुत जल्द कामयाब हो जाएंगे.

क्या वायरस ग्रस्त गायों के दूध के जरिए भी लंपी मनुष्यों में भी फैल सकती है?

नहीं जी. अभी इस तरह की कोई रिपोर्ट हमारे सामने नहीं आई है. डरने की कोई बात नहीं है.

बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू के बाद लंपी आने से पशुपालकों के सामने एक के बाद दूसरी समस्या खड़ी हो रही है. सरकार इसे कैसे देख रही है?

बर्ड फ्लू पिछले 10 वर्षों से देश के किसी-न- किसी हिस्से को प्रभावित कर रहा है. अच्छी बात यह है कि यह बहुत स्थानीय स्तर पर हो रहा है.

दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने और कौन से कदम उठाए हैं?

जब 2014 में मैं कृषि राज्य मंत्री बना था तो पूरे मंत्रालय का बजट ही 1500 करोड़ रुपए था. इसमें डेयरी, पशुपालन और मत्स्य पालन भी शामिल थे. उसके बाद सरकार ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए ब्लू रिवॉल्यूशन लाॅन्च किया. आज हमारा वैक्सीनेशन का बजट ही 12500 करोड़ का है. हमने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए ब्रीडिंग फॉर्म्स की योजना शुरू की है. इसमें 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है. दरअसल देश में डेयरी संगठित उद्योग नहीं है. लेकिन अब सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है.

Web Title: Sanjeev Balyan interview says No need to be afraid of Lumpy virus, situation is under control

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