Same-sex marriage verdict: समलैंगिक-विपरीत लिंग संबंध एक ही सिक्के के दो पहलू, न्यायमूर्ति कौल ने कहा-कानूनी मान्यता देना वैवाहिक समानता की दिशा में एक कदम

By सतीश कुमार सिंह | Published: October 17, 2023 12:29 PM2023-10-17T12:29:15+5:302023-10-17T12:58:46+5:30

Same-sex marriage verdict: सुप्रीम कोर्ट ने भारत में LGBTQIA+ समुदाय को विवाह समानता का अधिकार देने से इनकार कर दिया।

Same-sex marriage verdict Supreme Court refuses to give marriage equality rights to the LGBTQIA+ community in India | Same-sex marriage verdict: समलैंगिक-विपरीत लिंग संबंध एक ही सिक्के के दो पहलू, न्यायमूर्ति कौल ने कहा-कानूनी मान्यता देना वैवाहिक समानता की दिशा में एक कदम

सांकेतिक फोटो

Highlightsसमलैंगिक समुदाय के संघ में प्रवेश के अधिकार के खिलाफ भेदभाव नहीं करेंगे।केंद्र सरकार समलैंगिक संघों में व्यक्तियों के अधिकारों और हकदारियों को तय करने के लिए एक समिति का गठन करेगी।समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा।

Same-sex marriage verdict: सुप्रीम कोर्ट ने भारत में LGBTQIA+ समुदाय को विवाह समानता का अधिकार देने से इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश ने पुलिस को समलैंगिक जोड़े के संबंधों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया। इस बीच जस्टिस रवींद्र भट्ट का कहना है कि वे विशेष विवाह अधिनियम पर CJI द्वारा जारी निर्देशों से सहमत नहीं हैं।

न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के कुछ विचारों से सहमत और कुछ से असहमत हैं। न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता देना वैवाहिक समानता की दिशा में एक कदम है। समलैंगिक और विपरीत लिंग के संबंधों को एक ही सिक्के के दो पहलुओं के रूप में देखा जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति एस. के. कौल ने समलैंगिक जोड़ों को कुछ अधिकार दिए जाने को लेकर प्रधान न्यायाधीश से सहमति जताई। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र, राज्य, केंद्रशासित प्रदेश समलैंगिक अधिकारों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए कदम उठाएं। समलैंगिकता प्राकृतिक होती है जो सदियों से जानी जाती है, इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है।

न्यायालय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का यह बयान दर्ज करता है कि केंद्र समलैंगिक लोगों के अधिकारों के संबंध में फैसला करने के लिए पैनल बनाएगा। राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लिंग-परिवर्तन ऑपरेशन की अनुमति उस उम्र तक न दी जाए जब तक, इसके इच्छुक लोग इसके परिणाम को पूरी तरह समझने में सक्षम नहीं हों।

जस्टिस रवीन्द्र भट्ट ने कहा, "विवाह करने का अयोग्य अधिकार नहीं हो सकता जिसे मौलिक अधिकार माना जाए। हालांकि हम इस बात से सहमत हैं कि रिश्ते का अधिकार है, हम स्पष्ट रूप से मानते हैं कि यह अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है। इसमें एक साथी चुनने और उनके साथ शारीरिक संबंध का आनंद लेने का अधिकार शामिल है, जिसमें गोपनीयता, स्वायत्तता आदि का अधिकार शामिल है। इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि जीवन साथी चुनने का विकल्प मौजूद है।"

Web Title: Same-sex marriage verdict Supreme Court refuses to give marriage equality rights to the LGBTQIA+ community in India

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