Same-sex marriage case: विवाहित विषमलैंगिक जोड़े को लेकर बोले CJI- "ऐसी कोई चीज नहीं जो ये साबित करे कि..."

By मनाली रस्तोगी | Updated: October 17, 2023 11:41 IST2023-10-17T11:41:08+5:302023-10-17T11:41:17+5:30

समलैंगिक विवाह मामले पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो यह साबित करती हो कि केवल एक विवाहित विषमलैंगिक जोड़ा ही एक बच्चे को स्थिरता प्रदान कर सकता है।

Same-sex marriage case CJI DY Chandrachud says that there is no material which proves that only a married heterosexual couple can provide stability to a child | Same-sex marriage case: विवाहित विषमलैंगिक जोड़े को लेकर बोले CJI- "ऐसी कोई चीज नहीं जो ये साबित करे कि..."

फाइल फोटो

Same-sex marriage case: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ बैठी है। इसी क्रम में समलैंगिक विवाह मामले पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो यह साबित करती हो कि केवल एक विवाहित विषमलैंगिक जोड़ा ही एक बच्चे को स्थिरता प्रदान कर सकता है।

उन्होंने ये भी कहा कि विषमलैंगिक जोड़ों को दिए गए भौतिक लाभ/सेवाएं और समलैंगिक जोड़ों को इससे वंचित करना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। अपनी बात को जारी रखते हुए प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने का अधिकार न देने वाला CARA सर्कुलर संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।

इसके अलावा चंद्रचूड़ ने कहा कि समानता की मांग है कि व्यक्तियों के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर भेदभाव न किया जाए। 

उन्होंने कहा, "इस न्यायालय ने माना है कि समलैंगिक व्यक्तियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है और उनके मिलन में यौन रुझान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। विचित्र व्यक्तियों सहित सभी व्यक्तियों को अपने जीवन की नैतिक गुणवत्ता का आकलन करने का अधिकार है। किसी व्यक्ति का लिंग उसकी कामुकता के समान नहीं होता है।"

उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है। चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो यह देश को आजादी से पहले के युग में ले जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह संसद को तय करना है। सीजेआई ने कहा कि इस न्यायालय को विधायी क्षेत्र में प्रवेश न करने के प्रति सावधान रहना चाहिए।

Web Title: Same-sex marriage case CJI DY Chandrachud says that there is no material which proves that only a married heterosexual couple can provide stability to a child

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