Sambhal Violence: संभल हिंसा की जांच करने पहुंची न्यायिक आयोग की टीम, हिंसाग्रस्त इलाके का किया दौरा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 1, 2024 15:43 IST2024-12-01T15:40:20+5:302024-12-01T15:43:25+5:30

Sambhal Violence: साथ ही स्थिति को संभालने में पुलिस और प्रशासन की तैयारियों की भी जांच होगी।

Sambhal violence in Uttar Pradesh Judicial Commission members visited violence affected areas | Sambhal Violence: संभल हिंसा की जांच करने पहुंची न्यायिक आयोग की टीम, हिंसाग्रस्त इलाके का किया दौरा

Sambhal Violence: संभल हिंसा की जांच करने पहुंची न्यायिक आयोग की टीम, हिंसाग्रस्त इलाके का किया दौरा

Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले महीने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के दो सदस्यों ने रविवार को मस्जिद सहित शहर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आयोग के प्रमुख एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा और सेवानिवृत्त आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी अरविंद कुमार जैन ने कड़ी सुरक्षा के बीच मस्जिद के पास कोट गर्वी इलाके में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया।

आयोग के तीसरे सदस्य पूर्व आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अमित मोहन प्रसाद इस दौरान मौजूद नहीं थे। बाद में, मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा, "आज जांच आयोग के अध्यक्ष और एक अन्य सदस्य ने घटनास्थल का दौरा किया। उनका मुख्य उद्देश्य स्थल का निरीक्षण करना था। उन्होंने उन क्षेत्रों का दौरा किया जहां गड़बड़ी हुई थी। टीम ने घटनास्थल एवं मस्जिद की जांच की और वहां मौजूद कुछ लोगों से बात की। टीम फिर से दौरा करेगी और दौरे का पूरा कार्यक्रम घोषित किया जाएगा।

वे निश्चित रूप से दोबारा आएंगे।" उन्होंने कहा, "संभल में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है। हालात तेजी से स्थिर हो रहे हैं। फिलहाल, जिलाधिकारी के आदेश 10 दिसंबर तक प्रभावी हैं और उसके बाद किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। हम साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया में हैं और अब तक इसमें शामिल 400 व्यक्तियों की पहचान कर चुके हैं।" सिंह उस आदेश का हवाला दे रहे थे, जिसके तहत कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिंसा प्रभावित संभल शहर में नेताओं, सामाजिक संगठनों या जनप्रतिनिधियों सहित बाहरी लोगों के सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना प्रवेश पर 10 दिसंबर तक रोक लगाई गई है।

इस बीच, शाही जामा मस्जिद के इमाम आफताब हुसैन वारसी ने कहा, "टीम करीब 15 मिनट तक रुकी और मस्जिद का निरीक्षण किया।" मस्जिद प्रबंध समिति के सचिव मसूद फारूकी ने कहा, "टीम ने हमसे कुछ नहीं पूछा। वे केवल जामा मस्जिद देखने आए थे और उसने घटनास्थल का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि वे बाद में बयान लेंगे।" आयोग के सदस्यों ने हालांकि सुबह के दौरे के समय मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उनके साथ मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह, पुलिस उपमहानिरीक्षक मुनिराज जी, संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार भी थे।

मंडलायुक्त ने शनिवार को बताया था कि अरोड़ा और जैन एक दिन पहले ही मुरादाबाद पहुंच गए थे तथा प्रसाद के संभल में उनके साथ दौरे में शामिल होने की उम्मीद थी। संभल में अदालत के आदेश पर मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किए जाने के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और अनेक अन्य घायल हो गए थे।

सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर दिया गया था जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद स्थल पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था। आयोग को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। इस समयसीमा को बढ़ाने के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। आयोग इस बात की जांच करेगा कि 24 नवंबर को हुई हिंसक झड़पें किसी सुनियोजित आपराधिक साजिश का हिस्सा थीं या नहीं। साथ ही स्थिति को संभालने में पुलिस और प्रशासन की तैयारियों की भी जांच होगी।

आयोग हिंसा के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों का भी विश्लेषण करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों की सिफारिश करेगा। 

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