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फूलन देवी की बहन रुक्मिणी देवी समाजवादी पार्टी में हुईं शामिल, कहा- ताली पीटने से नहीं एक-एक वोट बटोरने से जीत मिलेगी

By रामदीप मिश्रा | Updated: October 6, 2019 16:50 IST

दस्यु जीवन छोड़कर राजनेता बनीं फूलन देवी (37) की 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस वारदात के वक्त वह उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी की सांसद थीं।

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फूलन देवी की बहन रुक्मिणी देवी निषाद ने रविवार (06 अक्टूबर) को समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम लिया। इस दौरान पार्टी के अध्यक्ष्य व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मौजूद थे। इससे पहले आज अखिलेश यादव ने सूचना दी थी कि पार्टी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली है। 

खबरों के अनुसार, पार्टी में शामिल होने के बाद रुक्मिणी देवी निषाद ने कहा कि ताली पीटने से नहीं एक-एक वोट बटोरने से जीत मिलेगी। इस दौरान अखिलेश यादव का कहना था कि पार्टी का परिवार बढ़ रहा है और हमारी कोशिश रहेगी कि इस परिवार में अधिक से अधिक साथियों को जोड़ा जाए।  आपको बता दें, दस्यु जीवन छोड़कर राजनेता बनीं फूलन देवी (37) की 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस वारदात के वक्त वह उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी की सांसद थीं। हत्या के इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने राणा को आठ अगस्त 2014 को दोषी करार दिया था। उन्हें 14 अगस्त 2014 को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी। राणा को दिल्ली उच्च न्यायालय से मामले में अक्टूबर 2016 में जमानत मिल गयी थी। राणा राजपूत हैं

फूलन देवी के जीवन से जुड़ी जरूरी बातेंः-

- फूलन देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा में 10 अगस्त 1963 में हुआ था। जन्म से ही फूलन जाति-भेदभाव की शिकार हुई है। 

- महज 11 साल की उम्र में फूलन का विवाह एक मल्लाह के घर हुआ था। ये बाल विवाह तो था लेकिन सिर्फ फूलन के लिए, क्योंकि उसके पति एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति था।

- 15 साल की उम्र में ससुराल से भागकर आने के बाद फूलन अपने पिता के साथ मजदूरी के काम में हाथ बटाने लगी। इसी दौरान फूलन के साथ गांव के कुछ ठाकुरों ने मिलकर गैंगरेप किया। 

- एक बार फूलन को पूरे गांव में नंगा कर घुमाया गया था। इसके बाद कहीं से न्याय न मिलने के बाद फूलन देवी ने हथियार उठाने का फैसला किया और वो डकैत बन गई।

- फूलन ने 1981 में 22 सवर्ण जाति के लोगों को एक लाइन में खड़ा कराकर गोलियों से भून डाला। इस घटना के बाद पूरे चंबल में फूलन का खौफ फैल गया।

- 22 लोगों की हत्या के बाद पुलिस उनके पीछे पड़ गई थी लेकिन फूलन देवी किसी के हाथ नहीं आ पाई थी। कुछ सालों बाद उसने तीन शर्तों के साथ आत्मसमर्पण किया- एमपी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण, किसी साथी को मौत की सजा नहीं और पिता को वापस मिले हड़पी जमीन। प्रशासन ने सभी शर्तें मान ली।

- फूलन ने 13 फरवरी 1983 को भिंड में आत्मसमर्पण किया। मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने फूलन देवी ने एक समारोह में हथियार डाले थे और उस समय उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जमा थी।

- 11 साल तक फूलन देवी को बिना मुकदमे के जेल में रहना पड़ा। इसके बाद 1994 में आई समाजवादी सरकार ने फूलन को जेल से रिहा किया। 

- इसके दो साल बाद ही फूलन को समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला और वो 1996 में मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी और दिल्ली पहुंच गई। 

- फूलन 1998 का लोकसभा चुनाव हार गईं थी लेकिन अगले ही साल हुए 13वीं लोकसभा के चुनाव में वे फिर जीत गईं। 

- 25 जुलाई 2001 को उनकी हत्या कर दी गई।

टॅग्स :अखिलेश यादवसमाजवादी पार्टीउत्तर प्रदेश
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