बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ राजद ने पेश किया अविश्वास प्रस्ताव, इस्तीफा नहीं देने की सूरत में फ्लोर टेस्ट से हटाए जाएंगे
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 22, 2022 18:33 IST2022-08-22T15:08:31+5:302022-08-22T18:33:52+5:30
बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा अगर 24 अगस्त तक अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो जदयू-राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन की सरकार विधानसभा में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर पद से हटाएगी।

फाइल फोटो
पटना: सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों ने 'अविश्वास प्रस्ताव' पेश किया है। यदि स्पीकर विजय कुमार सिन्हा 24 अगस्त तक अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ जदयू-राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन की सरकार विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लायेगी और उन्हें फ्लोर टेस्ट की मदद से पदच्युत करेगी।
समाचार वेबसाइट द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक नीतीश कुमार की भाजपाृजदयू गठबंधन के समय चयनित किये गये राज्य विधान परिषद के अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह ने भी अब तक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
इस संबंध में नियम कहता है कि विधानसभा या विधान परिषद में बहुमत के आधार पर पारित प्रस्ताव द्वारा अध्यक्ष को पद से हटाया जा सकता है। जहां तक बिहार विधानसभा का सवाल है तो इस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ राजद सहित कुल सात दलों का महागठबंधन सरकार चला रहा है और भाजपा विपक्ष में है।
बिहार विधानसभा में इस समय सत्ता पक्ष के पास कुल 164 सदस्य हैं, वहीं विपक्ष में बैठी भाजपा के पास 77 विधायक हैं। इस लिहाज से विधानसभा अध्यक्ष, जो कि भाजपा के सदस्य हैं, उनका नैतिक दायित्व बनता है कि वो पद त्याग दें लेकिन उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है।
यही कारण है कि विधानसभा में राजद सदस्य विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये हैं और अगर वो स्वेच्छा से पद त्याग नहीं करते हैं तो उन्हें बहुमत के आधार पर स्पीकर पद से हटाया जाएगा।
इस बीच एक और खबर आ रही है कि अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर महागठबंधन की साझी सत्ता चला रहे जदयू-राजद में बिहार विधानसभा अध्यक्ष और राज्य विधान परिषद के अध्यक्ष के नामों पर आम सहमति बन गई है।
संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर राजद अपने वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी को बैठा सकती है, वहीं विधान परिषद की अध्यक्षता संभवतः देवेश चंद्र ठाकुर को सौंपी जा सकती है।
सीवान से पांच बार विधायक चुने गये अवध बिहारी चौधरी की दावेदारी इस मानी जा रही है क्योंकि बतौर राजद उम्मीदवार पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव को पटखनी दी थी। अवध बिहारी चौधरी पिछली विधानसभा में भी विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए विजय कुमार सिन्हा के सामने चुनाव में खड़े हुए थे लेकिन जदयू-भाजपा कोटे से आने वाले भाजपा उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा से वो चुनाव हार गए थे।
अब बात करते हैं विधान परिषद की तो उसमें नीतीश कुमार की पार्टी जदयू सबसे बड़ा दल है। इस नाते जदयू के देवेश चंद्र ठाकुर को बिहार विधान परिषद के अगले अध्यक्ष के लिए महागठबंधन की ओर से नामित किया गया है।
देवेश चंद्र ठाकुर पहली बार साल 2002 में तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार एमएलसी का चुनाव जीते थे। लेकिन साल 2004 में वह जदयू में शामिल हो गए थे। उसके बाद साल 2008 में ठाकुर ने तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से फिर से एमएलसी चुनाव लड़ा और जीतकर विधान परिषद पहुंचे।
नीतीश कुमार ने ठाकुर को साल 2008 में जदयू के टिकट पर एमएलसी का चुनाव जीतने का इनाम दिया और उसी साल उन्हें अपनी कैबिनेट में बतौर राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री शामिल किया था। इसके बाद साल 2014 में देवेश चंद्र ठाकुर स्वतंत्र सदस्य के तौर पर एमएलसी का चुनाव जीतकर उच्च सदन में पहुंचे। ठाकुर का राज्य विधान परिषद में लगातार चौथा कार्यकाल है।