बिहार चुनाव 2025ः राजद नेता तेजस्वी यादव ने लिखा पीएम मोदी को खुला पत्र, आखिर क्या है वजह
By एस पी सिन्हा | Updated: May 3, 2025 14:33 IST2025-05-03T14:21:14+5:302025-05-03T14:33:56+5:30
बिहार सरकार ने यह सर्वे कर दिखाया, जिससे यह तथ्य सामने आया कि राज्य की 63 फीसदी आबादी ओबीसी और ईबीसी वर्ग से आती है।

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पटनाः केंद्र सरकार के द्वारा देश में जाति जनगणना का फैसला लिए जाने के बाद से लगातार सभी दलों के नेताओं के बीच इसका श्रेय लेने की होड़ मच गई है। इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पत्र लिखकर हाल ही में घोषित राष्ट्रीय जाति जनगणना के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है। उन्होंने चेताया कि यदि इस डेटा का सही उपयोग नहीं हुआ तो यह अवसर इतिहास के पन्नों में गुम हो जाएगा। पत्र में तेजस्वी ने कहा कि इसे सतर्क आशावाद के साथ देखा जाना चाहिए। उन्होंने लिखा कि अब तक केंद्र सरकार और एनडीए गठबंधन जाति जनगणना को विभाजनकारी और अनावश्यक बताते रहे थे। जब बिहार ने अपने स्तर पर जाति सर्वे कराया तब केंद्र और उसके सहयोगियों ने बाधाएं उत्पन्न कीं।
My letter to PM Sh. @narendramodi Ji.
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 3, 2025
The decision to conduct the caste census can be a transformative moment in our nation's journey towards equality. The millions who have struggled for this census await not just data but dignity, not just enumeration but empowerment.… pic.twitter.com/t2uszNfjOH
इसके बावजूद बिहार सरकार ने यह सर्वे कर दिखाया, जिससे यह तथ्य सामने आया कि राज्य की 63 फीसदी आबादी ओबीसी और ईबीसी वर्ग से आती है। उन्होंने कहा कि ऐसी ही तस्वीर पूरे देश में उभर सकती है। तेजस्वी ने केंद्र सरकार से मांग की कि जनगणना का उद्देश्य केवल आंकड़े जुटाना न होकर, सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण नीतियों को जनसंख्या के अनुरूप पुनर्गठित करना होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया में भी इन आंकड़ों का समुचित उपयोग होना चाहिए ताकि वंचित तबकों को लोकतांत्रिक भागीदारी का पूरा अवसर मिले। पत्र में तेजस्वी ने इस बात पर भी जोर दिया कि निजी क्षेत्र को भी सामाजिक न्याय की दिशा में जिम्मेदारी निभानी होगी।
उन्होंने कहा कि जो निजी उद्योग सरकारी संसाधनों का लाभ उठाते हैं, उन्हें भी समाज की विविधता का सम्मान करते हुए रोजगार और प्रतिनिधित्व में समावेशिता सुनिश्चित करनी चाहिए। तेजस्वी यादव ने पत्र के अंत में प्रधानमंत्री से अपील की कि इस ऐतिहासिक निर्णय को केवल घोषणा तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे प्रभावी तरीके से लागू किया जाए।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि बिहार इस प्रक्रिया में केंद्र सरकार को रचनात्मक सहयोग देगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल आंकड़ों की लड़ाई नहीं है, बल्कि सम्मान और सशक्तिकरण का भी प्रश्न है। उन्होंने लिखा है कि जब बिहार ने अपना जाति सर्वेक्षण कराने की पहल की, तो सरकार और आपकी पार्टी के शीर्ष विधि अधिकारी सहित केंद्रीय अधिकारियों ने हर कदम पर बाधाएं खड़ी कीं।
आपकी पार्टी के सहयोगियों ने इस तरह के डेटा संग्रह की आवश्यकता पर ही सवाल उठाए। आपका विलंबित निर्णय उन नागरिकों की मांगों की व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाता है, जिन्हें लंबे समय से हमारे समाज के हाशिये पर धकेल दिया गया है।