आईआईटी मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने इंसानों की तरह सोचने वाली ‘गति योजना’ कलन विधि विकसित की
By भाषा | Updated: December 19, 2021 18:30 IST2021-12-19T18:30:35+5:302021-12-19T18:30:35+5:30

आईआईटी मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने इंसानों की तरह सोचने वाली ‘गति योजना’ कलन विधि विकसित की
(गुंजन शर्मा)
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने त्वरित और प्रभावी तरीके से काम करने वाली ‘गति योजना’ कलन विधि (अल्गोरिद्म) विकसित की है जो इंसानों की तरह सोच सकती है और यह स्वायत्त तरीके से बाधायुक्त एवं अव्यवस्था युक्त वातावरण में हवा, जमीन या सतह पर चलने वाले वाहनों का नौवहन कर सकती है।
अनुसंधानकर्ताओं की टीम के मुताबिक अलगोरिद्म को ‘सामान्यीकृत आकार विस्तार’ (जीएसई) की विशेष धारणा के आधार पर विकसित किया गया है जो स्वायत्त वाहनों की सुरक्षित और गतिशील व्यवहार्य मार्ग की योजना बना सकती है। उन्होंने बताया कि मौजूदा गति और आधुनिक योजना अल्गोरिद्म के मुकाबले नयी गति योजना अल्गोरिद्म बेहतर नतीजे देती है।
उन्होंने दावा किया कि इसके द्वारा की जाने वाली क्षेत्र की अद्भुत ‘सुरक्षित’ गणना से स्वयं बिना चालक के चलने वाली कार, आपदा मोचन, आईएसआर परिचालन, ड्रोन के जरिये आपूर्ति, परग्रही खोज और अन्य परिस्थितियों में समय के लिहाज से संवेदनशील परिस्थिति में महत्वपूर्ण मदद मिलती है।
आईआईटी मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर सतदाल घोष के नेतृत्व में अनुंसधानकर्ताओं ने यह उपलब्धि हासिल की है।
इस अनुसंधान टीम में आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र एवं वर्तमान में अमेरिका के ऑस्टिन स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय में शोधार्थी वृषभ जिनागे, पोलैंड की वारसा यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में स्नातक के छात्र अद्वैत रामकुमार और गोल्डमैन साक्स में विश्लेषक पी निखिल शामिल थे।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।