नयी दिल्ली, नौ फरवरी उच्चतम न्यायालय ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा को लेकर कथित तौर पर “भ्रामक” ट्वीट करने के सिलिसले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और राजदीप सरदेसाई समेत छह पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के मामले में उनकी गिरफ्तारी पर मंगलवार को रोक लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने पांच मिनट की कार्यवाही में थरूर, सरदेसाई और पत्रकार मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ, विनोद के. जोस और अनंत नाथ को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों की पुलिस की किसी भी तरह की संभावित कठोर कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किये जाएं। इस बीच, याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।’’
केरल के तिरूवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इससे पहले पीठ के समक्ष गिरफ्तारी के मंडराते खतरे का जिक्र किया।
पीठ ने जब कहा कि वह इस मामले में नोटिस जारी कर रही है , तो सिब्बल ने कहा कि तब तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जाए।
पीठ ने इस पर कहा, “कुछ नहीं होने जा रहा। खतरा कहां है?”
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायामूर्ति वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं।
सिब्बल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता दिल्ली पुलिस और अन्य राज्यों की पुलिस की तरफ से पेश हो रहे हैं और वह “इस बीच मेरे दरवाजे पर दस्तक दे मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं।”
सिब्बल ने कहा, “कृपया इस दौरान हमें सुरक्षा प्रदान कीजिए।”
इस पर पीठ ने विधि अधिकारी से पूछा कि क्या पुलिस थरूर व अन्य को गिरफ्तार करने की योजना बना रही है।
मेहता ने मामले पर बुधवार को दलील पेश करने की अनुमति मांगते हुए कहा, “भयावह ट्वीट किये गए थे। मैं आपको दिखा सकता हूं कि इन ट्वीट का कितना भयावह प्रभाव है जिनके फॉलोअर लाखों में हैं।”
पीठ ने मेहता से पूछा, “क्या आप उन्हें गिरफ्तार करने जा रहे हैं?”
सॉलीसीटर जनरल ने कहा, “मैं आपके सामने हूं माननीय। कृपया कल सुनवाई करें।”
पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या वह सभी संबंधित राज्यों की तरफ से पेश हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मैं सभी के लिये पेश होऊंगा।”
याचिकाकर्ताओं को संरक्षण दिये जाने की दलील देते हुए सिब्बल ने कहा, “अगर संरक्षण दिया जाता है तो क्या पूर्वाग्रह होगा?”
पीठ ने कहा, “हम आपको दो हफ्ते बाद सुनेंगे और तब तक गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।”
एक पत्रकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोई धार्मिक भावना आहत नहीं हुई और यह 26 जनवरी की खबर थी कि कुछ लोगों को कथित तौर पर गोली मारी गई और फिर इसे सुधार कर कुछ और कर दिया गया।
दिल्ली पुलिस ने 30 जनवरी को थरूर, सरदेसाई और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
इससे पहले थरूर और छह पत्रकारों के खिलाफ नोएडा पुलिस ने कथित राजद्रोह समेत विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। अधिकारियों ने कहा था कि ये मामले दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर दर्ज किये गये।
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