नई दिल्ली: राष्ट्रपति दौप्रदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि हाल के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन असाधारण रहा है और हमें विश्वास है कि यह 2024 तथा उसके आगे भी जारी रहेगा। देश की आर्थिक वृद्धि दर 2021-22 में 9.1 प्रतिशत और 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रही है। चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके साथ भारत दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
राष्ट्रपति ने 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, ‘‘भारत आज आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रही है। ठोस आकलन के आधार पर हमें पूरा विश्वास है कि यह असाधारण प्रदर्शन वर्ष 2024 और उसके बाद भी जारी रहेगा।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जिस दूरदृष्टि और दूरगामी योजनाओं से अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त हुई है, उसी के तहत विकास को हर दृष्टि से समावेशी बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से जन कल्याण अभियानों को भी बढ़ावा दिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने महामारी के दिनों में, समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए लागू योजनाओं का दायरा बढ़ा दिया था। बाद में, कमजोर वर्ग की आबादी को संकट से उबरने में सहायता प्रदान करने के लिए इन कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखा गया।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सरकार ने इस पहल को और बढ़ाते हुए 81 करोड़ से अधिक लोगों को अगले पांच साल तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। संभवत:, इतिहास में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा जन-कल्याण कार्यक्रम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने, केवल जन-कल्याण योजनाओं का विस्तार और संवर्धन ही नहीं किया है, बल्कि जन-कल्याण की अवधारणा को भी नया अर्थ प्रदान किया है। हम सभी उस दिन गर्व का अनुभव करेंगे जब भारत ऐसे कुछ देशों में शामिल हो जाएगा जहां शायद ही कोई बेघर हो।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी नागरिकों के जीवन-यापन को सुगम बनाने के लिए कई समयबद्ध योजनाएं भी चलायी जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘घर में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता से लेकर अपना घर होने का अनुभव, ये सभी बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएं हैं, न कि विशेष सुविधाएं। ये मुद्दे, किसी भी राजनीतिक या आर्थिक विचारधारा से परे हैं और इन्हें मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए।’’
खबर भाषा एजेंसी